गौशाला में लापरवाही से तीन गायों की मौत, ग्रामीणों का प्रबंधन पर गंभीर आरोप।

पटौदी से शमशेर सिंह
हरियाणा में पटौदी क्षेत्र के गाँव भोड़ा कला की गौशाला में हुई दर्दनाक घटना ने पूरे गाँव को शोक और आक्रोश से भर दिया है। गौ संरक्षण और गौ कल्याण की बातें करने वाले समाज के लिए यह घटना कई सवाल खड़े करती है।

गाँव की गौशाला में तीन गायों की मौत हो गई। ग्रामीणों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। मौके पर पहुँची पुलिस ने स्थिति को संभालने की कोशिश की, लेकिन गाँव वालों का गुस्सा गौशाला प्रबंधन पर फूट पड़ा। ग्रामीणों का आरोप है कि यह मौतें किसी प्राकृतिक कारण से नहीं, बल्कि प्रबंधन की लापरवाही और भ्रष्टाचार की वजह से हुई हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि गौशाला संचालक महेश सैनी और उनके साथी सरकारी सहायता का सही उपयोग नहीं करते। "सरकार से मदद आती है, लेकिन उसे गायों पर खर्च नहीं किया जाता। चारा और दवाई तक नहीं दी जाती। सारा पैसा उनकी जेब में जाता है। दूध के व्यापार में ही ये लोग लगे हुए हैं, गायों के कल्याण से कोई मतलब नहीं," गाँव वालों ने आरोप लगाया।

स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले जब यह गौशाला मंदिर के पुजारी द्वारा संचालित होती थी, तब सब कुछ ठीक चलता था। लेकिन अब यह सेवा-स्थल एक "व्यवसाय" बन गया है, जहाँ गायों का कल्याण गौण और मुनाफा प्रमुख हो गया है।

गाँव वालों ने प्रशासन और विधायक तक शिकायतें भी कीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। ग्रामीणों की मांग है कि इस गौशाला का प्रबंधन पुनः भरोसेमंद लोगों को सौंपा जाए और वर्तमान प्रबंधन के वित्तीय लेन-देन का तुरंत ऑडिट किया जाए।

ग्रामीणों का आरोप है कि यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि सरकारी धन के गबन का मामला है। उनका कहना है कि गौ कल्याण के नाम पर मिलने वाली सरकारी सहायता का दुरुपयोग किया जा रहा है, जो न केवल गायों के साथ अन्याय है बल्कि सरकार और जनता दोनों के साथ धोखा भी है।

जब इस संबंध में गौशाला संचालक महेश सैनी से पूछा गया तो उन्होंने सभी आरोपों से इनकार किया। उनका कहना है कि "सारी राशि गायों पर ही खर्च की जाती है और मौतें बीमारी की वजह से हुई हैं।"

लेकिन सवाल अब भी बरकरार है—क्या गौशाला सचमुच गायों की सेवा का केंद्र है या सिर्फ व्यवसाय का माध्यम? इस गंभीर मामले की निष्पक्ष जाँच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की माँग गाँव वालों के साथ-साथ अब समाज की भी जिम्मेदारी है
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