राजवती ने अपने पति की याद में लगवाया वाटर कूलर

इस मौके पर मौजूद रहे पुत्र भंवर सिंह एवं पुत्रवधू भी

फतह सिंह उजाला
पटौदी।
   पानी पिलाना वह भी ज्येष्ठ माह की तपती गर्मी और लू के थपेड़ों में पुण्य का कार्य है । अब पहले की तरह जगह-जगह प्याऊ और मटके रखने की परंपरा तो बाकी ही नहीं रह गई है । बदलते समय के साथ पानी से भरे घड़े और प्याऊ का स्थान वाटर कूलर ने ले लिया है । फिर फिर भी इंसान की नीयत सही होनी चाहिए कि किसी न किसी रूप में अपने सामर्थ के मुताबिक जनहित और पुण्य के कार्य करता रहे । यह बात राजवती देवी ने अपने स्वर्गीय पति जसवंत सिंह की याद में वाटर कूलर लगवाने के मौके पर कही।

राजवती देवी के द्वारा आग उगलते सूरज की गर्मी और लू के थपेड़ों में आम इंसान को ठंडा पानी उपलब्ध करवाने के लिए जाटौली में आर्य समाज मंदिर के निकट वाटर कूलर लगवाया गया है। इस मौके पर राजवती देवी के पुत्र भंवर सिंह , युद्धवीर सिंह, रणजीत सिंह एवं पुत्रवधू भी मौजूद रही । राजवती देवी ने कहा की अब समय तेजी से बदल रहा है । उनके समय में तो गांव के चैराहों या फिर बीच रास्तों में प्याऊ ही होती थी या फिर हरे भरे घने पेड़ों के नीचे घड़े रखकर उनमें आम आदमी सहित यात्रियों की सुविधा और प्यास बुझाने के लिए पानी भर कर रखा जाता था । जहां-जहां पानी के घड़े रखे जाते थे वहीं पास में ही पक्षियों के पानी पीने के लिए भी व्यवस्था की जाती थी । लेकिन अब समय तेजी से बदल चुका है । इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए परिवार में विचार विमर्श करने के बाद वाटर कूलर लगाने का फैसला किया गया । जिससे कि आम आदमी और राहगीर को गर्मी के मौसम अपनी प्यास बुझाने के लिए ठंडा पानी उपलब्ध होता रहे।
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