आंदोलनकारी किसानों में रविवार को फुट पड़ा भारी रोष
केंद्र सरकार में किसान और मजदूर की भी है हिस्सेदारी
किसानों की मांगों को केंद्र सरकार जल्द से जल्द करें पूरा
फतह सिंह उजाला
खेड़ा बॉर्डर । दिल्ली-जयपुर नेशनल हाईवे के जयसिंहपुर खेड़ा बॉर्डर पर कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनकारी किसानों का रविवार को 71 वें दिन भी धरना लगातार जारी रहा। यहां जारी किसान आंदोलन और किसानों के धरने का नेतृत्व राजस्थान नागौर के लगातार चार बार एमएलए रहे अमराराम के नेतृत्व में जारी है।
खेड़ा बॉर्डर पर जारी किसानों के आंदोलन और धरने को बावल 84 के प्रधान छाजू राम, डॉ संजय माधव, पूर्व एमएलए पवन दुग्गल, हरफूल सिंह, तारा सिंह सिंधु, पूर्वांचल के किसान नेता बनवारी लाल, महेंद्र ककरात, बलबीर छिल्लर, छगनलाल चैधरी, होशियार सिंह, बिंदावास, मास्टर गजे सिंह, सुभाष नंबरदार, सुभाष जैलदार, सुमेर जैलदार सहित अन्य आसपास के किसानों का भी समर्थन मिल रहा है । रविवार को एकाएक खेड़ा बॉर्डर पर कृषि कानूनों के विरोध में और अपनी मांगों के समर्थन में आंदोलनकारी किसानों का गुस्सा बेकाबू हो गया । विभिन्न वक्ताओं ने इस मौके पर कहा कि दिल्ली के चारों तरफ बैठे किसान शांति पूर्वक और अहिंसात्मक तरीके से अपना विरोध प्रदर्शन दर्ज करा रहे हैं । कई दौर की बातचीत होने के बाद भी सरकार कृषि कानूनों को किसानों पर थोपने के लिए जिद पकड़े हुए हैं । संयुक्त किसान मोर्चा और किसान नेताओं के द्वारा पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि जब तक केंद्र की सरकार कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती, एमएसपी की गारंटी का कानून नहीं बनाती ,तब तक किसानों का धरना प्रदर्शन शांतिपूर्वक चलता ही रहेगा।
इसी बीच में किसानों ने केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के दृष्टिगत और केंद्र सरकार के तथा केंद्र सरकार के वार्ताकार प्रतिनिधियों पर अड़ियल रवैया अपनाने का आरोप लगाते पीएम मोदी को किसान आंदोलन की वास्तविकता से गुमराह रखने का गंभीर आरोप भी लगाया। इसके बाद में आंदोलनकारी किसानों ने पीएम मोदी और केंद्र में बीजेपी सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए पीएम मोदी का पुतला बनाकर, इस पुतले को कंधों पर उठाते हुए आसपास में विरोध प्रदर्शन भी किया। पीएम मोदी के पुतले को अर्थी पर रखकर आंदोलनकारी किसानों के द्वारा कृषि कानूनों के विरोध में जोरदार नारेबाजी भी की गई। इसके बाद आंदोलनकारी किसानों ने पीएम मोदी और बीजेपी सरकार के पुतले को आग के हवाले कर दिया ।
इस मौके पर राजस्थान नागौर के चार बार एमएलए रहे अमराराम ने कहा कि केंद्र सरकार को यह अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए कि किसान तब तक अपने घर वापस नहीं लौटेंगे जब तक मोदी सरकार किसानों पर जबरन थोपे जा रहे किसी कानूनों को वापस नहीं करती अथवा इन्हें रद्द नहीं करती है। इसके साथ ही किसानों की यह भी मांग है कि एमएसपी का गारंटी का कानून बनाया जाए । उन्होंने केंद्र सरकार को आगाह करते हुए कहा कि किसानों के सब्र का और अधिक इम्तेहान केंद्र सरकार को नहीं लेना चाहिए । किसान पहले दिन से ही धैर्य पूर्वक और शांति के साथ अपना आंदोलन चलाते आ रहे हैं और मांगे पूरी होने तक किसानों का यह आंदोलन इसी प्रकार अहिंसात्मक तरीके से शांतिपूर्वक जारी रहेगा । उन्होंने कहा कि केंद्र में भारी बहुमत से बनी सरकार में किसान और मजदूर सहित कमेरे वर्ग की भी बराबर की हिस्सेदारी शामिल है । केंद्र में बनी बीजेपी की सरकार और पीएम की कुर्सी पर मोदी को बैठाने में किसान ,मजदूर और कमेरे वर्ग के द्वारा दिए गए वोट का भी समर्थन प्राप्त है । किसान नेताओं ने कहा कि अभी भी समय है ,जब केंद्र सरकार को किसानों पर जबरन थोपे गए कृषि कानूनों पर पुनर्विचार करते हुए इनको निरस्त करके नए सिरे से किसान नेताओं के साथ में बातचीत कर नए कानून बनाने की पहल करनी चाहिए। जिससे कि न हीं तो किसानों का किसी भी प्रकार से अहित हो और न हीं केंद्र सरकार को किसी प्रकार का नुकसान हो । कोई भी समस्या हो ,उसका समाधान बातचीत से ही संभव है।
केंद्र सरकार में किसान और मजदूर की भी है हिस्सेदारी
किसानों की मांगों को केंद्र सरकार जल्द से जल्द करें पूरा
फतह सिंह उजाला
खेड़ा बॉर्डर । दिल्ली-जयपुर नेशनल हाईवे के जयसिंहपुर खेड़ा बॉर्डर पर कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनकारी किसानों का रविवार को 71 वें दिन भी धरना लगातार जारी रहा। यहां जारी किसान आंदोलन और किसानों के धरने का नेतृत्व राजस्थान नागौर के लगातार चार बार एमएलए रहे अमराराम के नेतृत्व में जारी है।
खेड़ा बॉर्डर पर जारी किसानों के आंदोलन और धरने को बावल 84 के प्रधान छाजू राम, डॉ संजय माधव, पूर्व एमएलए पवन दुग्गल, हरफूल सिंह, तारा सिंह सिंधु, पूर्वांचल के किसान नेता बनवारी लाल, महेंद्र ककरात, बलबीर छिल्लर, छगनलाल चैधरी, होशियार सिंह, बिंदावास, मास्टर गजे सिंह, सुभाष नंबरदार, सुभाष जैलदार, सुमेर जैलदार सहित अन्य आसपास के किसानों का भी समर्थन मिल रहा है । रविवार को एकाएक खेड़ा बॉर्डर पर कृषि कानूनों के विरोध में और अपनी मांगों के समर्थन में आंदोलनकारी किसानों का गुस्सा बेकाबू हो गया । विभिन्न वक्ताओं ने इस मौके पर कहा कि दिल्ली के चारों तरफ बैठे किसान शांति पूर्वक और अहिंसात्मक तरीके से अपना विरोध प्रदर्शन दर्ज करा रहे हैं । कई दौर की बातचीत होने के बाद भी सरकार कृषि कानूनों को किसानों पर थोपने के लिए जिद पकड़े हुए हैं । संयुक्त किसान मोर्चा और किसान नेताओं के द्वारा पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि जब तक केंद्र की सरकार कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती, एमएसपी की गारंटी का कानून नहीं बनाती ,तब तक किसानों का धरना प्रदर्शन शांतिपूर्वक चलता ही रहेगा।
इसी बीच में किसानों ने केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के दृष्टिगत और केंद्र सरकार के तथा केंद्र सरकार के वार्ताकार प्रतिनिधियों पर अड़ियल रवैया अपनाने का आरोप लगाते पीएम मोदी को किसान आंदोलन की वास्तविकता से गुमराह रखने का गंभीर आरोप भी लगाया। इसके बाद में आंदोलनकारी किसानों ने पीएम मोदी और केंद्र में बीजेपी सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए पीएम मोदी का पुतला बनाकर, इस पुतले को कंधों पर उठाते हुए आसपास में विरोध प्रदर्शन भी किया। पीएम मोदी के पुतले को अर्थी पर रखकर आंदोलनकारी किसानों के द्वारा कृषि कानूनों के विरोध में जोरदार नारेबाजी भी की गई। इसके बाद आंदोलनकारी किसानों ने पीएम मोदी और बीजेपी सरकार के पुतले को आग के हवाले कर दिया ।
इस मौके पर राजस्थान नागौर के चार बार एमएलए रहे अमराराम ने कहा कि केंद्र सरकार को यह अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए कि किसान तब तक अपने घर वापस नहीं लौटेंगे जब तक मोदी सरकार किसानों पर जबरन थोपे जा रहे किसी कानूनों को वापस नहीं करती अथवा इन्हें रद्द नहीं करती है। इसके साथ ही किसानों की यह भी मांग है कि एमएसपी का गारंटी का कानून बनाया जाए । उन्होंने केंद्र सरकार को आगाह करते हुए कहा कि किसानों के सब्र का और अधिक इम्तेहान केंद्र सरकार को नहीं लेना चाहिए । किसान पहले दिन से ही धैर्य पूर्वक और शांति के साथ अपना आंदोलन चलाते आ रहे हैं और मांगे पूरी होने तक किसानों का यह आंदोलन इसी प्रकार अहिंसात्मक तरीके से शांतिपूर्वक जारी रहेगा । उन्होंने कहा कि केंद्र में भारी बहुमत से बनी सरकार में किसान और मजदूर सहित कमेरे वर्ग की भी बराबर की हिस्सेदारी शामिल है । केंद्र में बनी बीजेपी की सरकार और पीएम की कुर्सी पर मोदी को बैठाने में किसान ,मजदूर और कमेरे वर्ग के द्वारा दिए गए वोट का भी समर्थन प्राप्त है । किसान नेताओं ने कहा कि अभी भी समय है ,जब केंद्र सरकार को किसानों पर जबरन थोपे गए कृषि कानूनों पर पुनर्विचार करते हुए इनको निरस्त करके नए सिरे से किसान नेताओं के साथ में बातचीत कर नए कानून बनाने की पहल करनी चाहिए। जिससे कि न हीं तो किसानों का किसी भी प्रकार से अहित हो और न हीं केंद्र सरकार को किसी प्रकार का नुकसान हो । कोई भी समस्या हो ,उसका समाधान बातचीत से ही संभव है।