पटौदी के पत्रकारों ने राष्ट्रपति के नाम एसडीएम को सौंपा ज्ञापन

पूरे घटनाक्रम की जांच सहित दोषियों पर कार्रवाई की मांग

आज के दौर में पत्रकारिता जोखिम और चुनौतीपूर्ण कार्य


पटौदी । 
  किसान आंदोलन के दौरान कवरेज कर रहे सोशल मीडिया के पत्रकार मनदीप पूनिया पर दिल्ली पुलिस के द्वारा थोपे गए मनमाने मुकदमे को रद्द किया जाने की मांग राष्ट्रपति से की गई है । इस संदर्भ में पटौदी के पत्रकारों ने महामहिम राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन पटौदी के एसडीएम को सौंपा है।

बुधवार को वरिष्ठ पत्रकार फतह सिंह उजाला के साथ में प्रिंट ,इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के पत्रकार रफीक खान, शिवचरण, राधेश्याम, मीर सिंह, धीरज वशिष्ठ व अन्य ने महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नाम पटौदी के एसडीएम प्रदीप कुमार को ज्ञापन सौंपकर अनुरोध सही मांग की है कि सोशल मीडिया के स्वतंत्र पत्रकार अमनदीप पुनिया पर दिल्ली पुलिस के द्वारा थोपे गए मुकदमे को खारिज अथवा रद्द कराने के लिए पूरे घटनाक्रम को अपने संज्ञान में लेते हुए पत्रकार पूनिया को राहत प्रदान करें । राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपने वाले पत्रकारों का कहना है कि आज के दौर में बड़े इलेक्ट्रॉनिक न्यूज चैनल के मुकाबले में काम करना चुनौती के साथ-साथ जोखिम पूर्ण कार्य बना हुआ है । इसका दूसरा पहलू यह भी है कि आज आम जनमानस का सोशल मीडिया पर दिखाई जाने वाली खबरें अथवा समाचारों पर अधिक भरोसा बना हुआ है । क्योंकि अधिकांशतः सोशल मीडिया पर मौके से ही लाइव कवरेज दिखाई जाती है, इसमें किसी भी प्रकार की काटकाट अथवा एडिटिंग करने की कोई भी गुंजाइश नहीं रह जाती ।

किसी भी बड़े अथवा भीड़ वाले आंदोलन के दौरान कवरेज करते हुए पत्रकारों का यही प्रयास होता है कि शासन-प्रशासन का सहयोग करते हुए वह घटनाक्रम को कवर करके आम जनमानस तक पहुंचाने का कार्य करें । ऐसे बड़े आंदोलनों में कई बार इस प्रकार के तथ्य सोशल मीडिया या अन्य खोजी पत्रकार खोज लेते हैं जो कि किसी के लिए भी कई बार परेशानी का कारण बन कर सामने आते रहे हैं । ऐसा ही कुछ दिल्ली में किसान आंदोलन के दौरान भी घटित हुआ है । राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपने वाले पत्रकारों का कहना है कि दिल्ली पुलिस के द्वारा मनदीप पूनिया पर कथित जबरन मनमाना मुकदमा दर्ज करके अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन ही नहीं बलिक गला घोटने तक का भी काम कर दिखाया है । जिस प्रकार से मनदीप पूनिया को पुलिस के द्वारा जबरदस्ती उठाया गया और उसकी भनक तक नहीं लगने दी गई , यह सब पुलिस की मनमानी कार्यवाही का जीता जागता उदाहरण है ।

राष्ट्रपति के नाम सौंपे गए ज्ञापन में पत्रकारों ने विनम्र आग्रह किया है कि खास तौर से स्वतंत्र और सोशल मीडिया पर काम कर रहे पत्रकारों को बेवजह से प्रताड़ित न किया जाए और कथित राजनीतिक दबाव में मुकदमे दर्ज कर आवाज को दबाने का भी प्रयास निंदनीय कार्य है । वास्तव में पत्रकार समाज, शासन और प्रशासन के बीच में सूचनाओं और घटनाओं के आदान-प्रदान का एक सशक्त माध्यम है । वही पत्रकारों ने देश की न्यायिक व्यवस्था पर पूरा भरोसा जताते हुए कहां है कि शासन प्रशासन की मनमानी पर अदालत ही लगाम कसने में सक्षम है , ऐसा अनेकों बार हो चुका है । जब पुलिसिया तंत्र के द्वारा प्रताड़ित पत्रकारों को अदालत के माध्यम से ही राहत प्राप्त हुई है।

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