पालिका चेयरमैन, अधिकारियों सहित ठेकेदारों पर मामला दर्ज
हेलीमंडी नगरपालिका के इतिहास में यह पहला मामला फूटा
फतह सिंह उजाला
पटौदी । सुबे में बीजेपी नेतृत्व में जजपा के सहयोग से बीजेपी सरकार भ्रष्टाचार मुक्त शासन और जीरो टोलरेंस पॉलिसी पर गंभीरता से काम कर रही है । इतना ही नहीं समय-समय पर हरियाणा के गृहमंत्री, मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम के द्वारा भी संयुक्त रुप से बयान दिए जा चुके हैं कि भ्रष्टाचार किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जाएगा । लेकिन कुछ लोग कथित रूप से अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर बचाव करने से भी नहीं चूकते दिखाई देते हैं । ऐसे में एकमात्र रास्ता अदालत का ही बचता है, जहां से न्याय मिलना निश्चित माना जाता है ।
पटौदी हलके की हेलीमंडी नगरपालिका के मामले में भी यही रास्ता आखिरकार वादी को अपनाना पड़ा। जिसका परिणाम यह हुआ की गुरुग्राम की अदालत ने वादी की याचिका पर सुनवाई करते हुए और सामने रखे गए साक्ष्य को ध्यान में रख भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के साथ-साथ भ्रष्टाचार के अधिनियम के तहत अलग-अलग 6 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के पटोदी थाना पुलिस को निर्देश दिए । हेलीमंडी नगरपालिका के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी भी जनप्रतिनिधि और पालिका के अधिकारी के साथ साथ विकास कार्य करने वाले ठेकेदार कंपनी पर कोर्ट का शिकंजा कसा गया । कोर्ट के आदेश के बाद पटोदी थाना में हेलीमंडी नगर पालिका चेयरमैन सुरेश यादव, यहां रहे एमई हेमंत कुमार, सचिव की जिम्मेदारी संभाल चुके सुशील कुमार, हेलीमंडी पुलिस चैकी के इंचार्ज रह चुके रविंद्र कुमार के साथ-साथ विकास कार्य करने वाली ठेकेदार कंपनी जय दुर्गा ट्रेडर्स और राजन कंस्ट्रक्शन कंपनी के खिलाफ आईपीसी की धारा 120 बी, 166ंए , 406, 409, 420, 467, 468 और प्रीवेंशन आफ करप्शन एक्ट 1988 की धारा 9 और 13 के तहत मुकदमा दर्ज कर इस पूरे मामले की जांच के निर्देश दिए हैं ।
राहत की संभावना नहीं के बराबर
जैसे ही कोर्ट के आदेश के साथ-साथ हेलीमंडी पालिका के विभिन्न आरोपियों पर मुकदमा दर्ज होने के साथ ही मामला मीडिया की सुर्खियों में बना तो हर एक की जुबान पर मंगलवार को हेलीमंडी नगर पालिका में कथित रूप से भ्रष्टाचार चरम पर होने की चर्चा का बाजार गर्म बना रहा । इसी बीच सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि इस संबंधित मामले में आरोपी बनाए गए कुछ आरोपी अपने बचाव सहित संभावित गिरफ्तारी से बचने के दृष्टिगत पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट तक भी पहुंच चुके हैं। इस मामले में जानकारों के मुताबिक वादी की याचिका पर सुनवाई करते हुए गुरुग्राम कोर्ट के द्वारा आरोपियों के खिलाफ जिन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं , उन धाराओं को देखते हुए कथित रूप से हाई कोर्ट द्वारा किसी भी प्रकार की राहत की उम्मीद मिलने की संभावना नहीं के बराबर है। क्योंकि अधिकांश धाराएं गैर जमानती है। इसी मामले में आरोपी बनाए गए एक अधिकारी का कहना है की जो भी कार्य किया गया वह नियमानुसार किया गया और कथित रूप से एक ही अधिकारी को जांच में दोषी माना गया था । लेकिन अन्य लोग अथवा अधिकारी अथवा जनप्रतिनिधि का इस मामले से सीधा कोई संबंध नहीं है ।
अभी और बढ़ेंगी मुश्किलें
जिस प्रकार से एक लंबी जद्दोजहद के बाद आरटीआई के माध्यम से प्राप्त सूचनाओं का अध्ययन किया जाने के बाद भ्रष्टाचार का यह मामला विभागीय जांच से गुजरता हुआ कथित रूप से संतोषजनक नहीं पाया जाने पर कोर्ट में पहुंचा । उसे देखते हुए अब इस बात से इंकार नहीं की आने वाले समय में हेली मंडी नगर पालिका प्रशासन के साथ-साथ चुने हुए जनप्रतिनिधियों की परेशानियां और भी अधिक बढ़ेगी। क्योंकि हेलीमंडी नगर पालिका क्षेत्र के विभिन्न इलाकों में करवाए जा रहे करोड़ों रुपए के विकास कार्यों के बारे में आरटीआई के माध्यम से जो सूचनाएं दी जा रही हैं, उनमें भी बहुत झोल है या फिर सही प्रकार से जानकारी नहीं दी जा रही है । ऐसे में अब इस ताजा मामले को देखते हुए वादी के सामने कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का विकल्प खुला हुआ है ।
हेलीमंडी नगरपालिका के इतिहास में यह पहला मामला फूटा
फतह सिंह उजाला
पटौदी । सुबे में बीजेपी नेतृत्व में जजपा के सहयोग से बीजेपी सरकार भ्रष्टाचार मुक्त शासन और जीरो टोलरेंस पॉलिसी पर गंभीरता से काम कर रही है । इतना ही नहीं समय-समय पर हरियाणा के गृहमंत्री, मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम के द्वारा भी संयुक्त रुप से बयान दिए जा चुके हैं कि भ्रष्टाचार किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जाएगा । लेकिन कुछ लोग कथित रूप से अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर बचाव करने से भी नहीं चूकते दिखाई देते हैं । ऐसे में एकमात्र रास्ता अदालत का ही बचता है, जहां से न्याय मिलना निश्चित माना जाता है ।
पटौदी हलके की हेलीमंडी नगरपालिका के मामले में भी यही रास्ता आखिरकार वादी को अपनाना पड़ा। जिसका परिणाम यह हुआ की गुरुग्राम की अदालत ने वादी की याचिका पर सुनवाई करते हुए और सामने रखे गए साक्ष्य को ध्यान में रख भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के साथ-साथ भ्रष्टाचार के अधिनियम के तहत अलग-अलग 6 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के पटोदी थाना पुलिस को निर्देश दिए । हेलीमंडी नगरपालिका के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी भी जनप्रतिनिधि और पालिका के अधिकारी के साथ साथ विकास कार्य करने वाले ठेकेदार कंपनी पर कोर्ट का शिकंजा कसा गया । कोर्ट के आदेश के बाद पटोदी थाना में हेलीमंडी नगर पालिका चेयरमैन सुरेश यादव, यहां रहे एमई हेमंत कुमार, सचिव की जिम्मेदारी संभाल चुके सुशील कुमार, हेलीमंडी पुलिस चैकी के इंचार्ज रह चुके रविंद्र कुमार के साथ-साथ विकास कार्य करने वाली ठेकेदार कंपनी जय दुर्गा ट्रेडर्स और राजन कंस्ट्रक्शन कंपनी के खिलाफ आईपीसी की धारा 120 बी, 166ंए , 406, 409, 420, 467, 468 और प्रीवेंशन आफ करप्शन एक्ट 1988 की धारा 9 और 13 के तहत मुकदमा दर्ज कर इस पूरे मामले की जांच के निर्देश दिए हैं ।
राहत की संभावना नहीं के बराबर
जैसे ही कोर्ट के आदेश के साथ-साथ हेलीमंडी पालिका के विभिन्न आरोपियों पर मुकदमा दर्ज होने के साथ ही मामला मीडिया की सुर्खियों में बना तो हर एक की जुबान पर मंगलवार को हेलीमंडी नगर पालिका में कथित रूप से भ्रष्टाचार चरम पर होने की चर्चा का बाजार गर्म बना रहा । इसी बीच सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि इस संबंधित मामले में आरोपी बनाए गए कुछ आरोपी अपने बचाव सहित संभावित गिरफ्तारी से बचने के दृष्टिगत पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट तक भी पहुंच चुके हैं। इस मामले में जानकारों के मुताबिक वादी की याचिका पर सुनवाई करते हुए गुरुग्राम कोर्ट के द्वारा आरोपियों के खिलाफ जिन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं , उन धाराओं को देखते हुए कथित रूप से हाई कोर्ट द्वारा किसी भी प्रकार की राहत की उम्मीद मिलने की संभावना नहीं के बराबर है। क्योंकि अधिकांश धाराएं गैर जमानती है। इसी मामले में आरोपी बनाए गए एक अधिकारी का कहना है की जो भी कार्य किया गया वह नियमानुसार किया गया और कथित रूप से एक ही अधिकारी को जांच में दोषी माना गया था । लेकिन अन्य लोग अथवा अधिकारी अथवा जनप्रतिनिधि का इस मामले से सीधा कोई संबंध नहीं है ।
अभी और बढ़ेंगी मुश्किलें
जिस प्रकार से एक लंबी जद्दोजहद के बाद आरटीआई के माध्यम से प्राप्त सूचनाओं का अध्ययन किया जाने के बाद भ्रष्टाचार का यह मामला विभागीय जांच से गुजरता हुआ कथित रूप से संतोषजनक नहीं पाया जाने पर कोर्ट में पहुंचा । उसे देखते हुए अब इस बात से इंकार नहीं की आने वाले समय में हेली मंडी नगर पालिका प्रशासन के साथ-साथ चुने हुए जनप्रतिनिधियों की परेशानियां और भी अधिक बढ़ेगी। क्योंकि हेलीमंडी नगर पालिका क्षेत्र के विभिन्न इलाकों में करवाए जा रहे करोड़ों रुपए के विकास कार्यों के बारे में आरटीआई के माध्यम से जो सूचनाएं दी जा रही हैं, उनमें भी बहुत झोल है या फिर सही प्रकार से जानकारी नहीं दी जा रही है । ऐसे में अब इस ताजा मामले को देखते हुए वादी के सामने कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का विकल्प खुला हुआ है ।