सचिव ने लिखित में माना तोड़फोड़ पालिका जेई के नेतृत्व में हुई
बड़ा सवाल, किस सक्षम अधिकारी ने की मौके पर जांच
मामला हेली मंडी पालिका के वार्ड नंबर दो और तीन का
यहां गली में सड़क बनाने के लिए चलाई गई थी जेसीबी
सचिव ने लिखित में माना तोड़फोड़ पालिका जेई के नेतृत्व में हुई
फतह सिंह उजाला
पटौदी । कथित रूप से मनमानी करने वाले और नियम कानून को ठोकर पर रखने वाले अधिकारियों पर जब भी शिकंजा कसता दिखाई देता है, तो वह ऐसे मामलों में सीधा ठीकरा भोली-भाली जनता के सिर फोड़ने ने कतई भी झिझक नहीं दिखाते हैं । लाख टके का सवाल यह है की हेली मंडी पालिका सचिव के दावे सही हैं या वह पूरी तरह सफेद झूठ बोल रहे हैं ?
मामला हेली मंडी नगरपालिका के अल्पसंख्यक और अनुसूचित वर्ग बहुल वार्ड नंबर 2 और 3 में गली निर्माण के दौरान की गई तोड़फोड़, जिसमें की मौके पर मौजूद तोड़फोड़ का नेतृत्व करने वाले जेई की अगुवाई में ही दर्जनों की संख्या में गरीब परिवारों के पानी के कनेक्शन और सीवरेज के कनेक्शन नष्ट करके सीधे-सीधे सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया था । यह घटना 14 अगस्त की है । इस मामले में जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के द्वारा हेली मंडी पुलिस चैकी में 24 अगस्त को शिकायत देकर संबंधित इलाके में सीवरेज लाइन के मेन हॉल, पब्लिक पेयजल कनेक्शन इत्यादि को बरसाती मौसम में तोड़कर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए आम जनमानस की परेशानी का हवाला दिया गया था । इस पत्र की प्रतियां हेलीमंडी पुलिस, पटौदी के एसडीएम, हेली मंडी नगरपालिका सचिव और जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के कार्यकारी अभियंता सोहना मंडल को भी आवश्यक कार्यवाही के लिए भेजी गई थी । पत्र क्रमांक 1100 से लेकर 1103 में यह आरोप लगाया गया था कि वार्ड नंबर 2 और 3 में जन स्वास्थ्य विभाग की अनुमति के बिना सीवर लाइन के मेन हॉल पब्लिक पेयजल कनेक्शन इत्यादि जेसीबी चलाकर तोड़ते हुए सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया है । जन स्वास्थ्य के द्वारा यह आरोप गली के निर्माता ठेकेदार पर लगाए गए थे ।
सूत्रों के मुताबिक इस मामले में जब पुलिस के द्वारा संबंधित ठेकेदार को तलब किया गया तो, ठेकेदार ने साफ-साफ पूछा कि शिकायत में किस ठेकेदार का नाम लिखा गया है ? जिस दिन यह सब वार्ड नंबर 2 और 3 की गली में तोड़फोड़ की गई, उस समय वह मौके पर मौजूद नहीं था और जो भी मौके पर कार्यवाही के फोटो सहित साक्ष्य कथित रूप से पुलिस के पास हैं उनमें हेली मंडी नगरपालिका के ही तोड़फोड़ करवाने वाले कर्मचारी और अधिकारी मौजूद हैं । ऐसे में सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का मुकदमा दर्ज कर वसूली भी उन्हीं से की जानी चाहिए । कथित रूप से दाव उल्टा पड़ता देख हेली मंडी पालिका सचिव के द्वारा हेली मंडी पुलिस चैकी में लिखित में यह बताया गया कि संबंधित वार्ड में तोड़फोड़ पालिका प्रशासन के द्वारा और पालिका के ही कनिष्ठ अभियंता की देखरेख में की गई है । ऐसे में लाख टके का सवाल यह है कि जब कनिष्ठ अभियंता की देखरेख में जेसीबी चली अथवा चलाई गई तो आम लोगों के द्वारा क्यों और किन कारणों से अपने स्वयं के तेजल कनेक्शन और सीवरेज के कनेक्शन तोड़ने के साथ-साथ सरकारी संपत्ति को नुकसान किस विरोध में पहुंचाया गया ? शायद इस बात का जवाब पालिका सचिव के पास भी नहीं होगा ।
पालिका सचिव के द्वारा लिखा गया है कि जन स्वास्थ्य विभाग की पेयजल और सीवरेज लाइन सहित मेनहोल को जो नुकसान पहुंचाया गया है। वह स्थानीय निवासियों की राजनीति के कारण पहुंचाया गया है। यह जवाब बहुत ही हास्य पद और किसी भी तर्क की कसौटी पर खरा उतरने वाला नहीं है। आम आदमी, गरीब आदमी, क्यों और किस लिए अपना पीने का पानी, शौच की सुविधा और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा कर समय बर्बाद करेगा ? अंततः इस प्रकरण में एक बात तो स्पष्ट है कि जो हेली मंडी पालिका सचिव के द्वारा लिखित में पुलिस को सौंपी गई रिपोर्ट में लिखी है, कि तोड़फोड़ विभाग के कनिष्ठ अभियंता की देखरेख में की गई है । इसका सबसे बड़ा सबूत भी मौके पर मौजूद पालिका के कनिष्ठ अभियंता की मौजूदगी ही है ।
बहरहाल अब लाख टके का सवाल यह है की जन स्वास्थ्य विभाग के द्वारा सरकारी नुकसान कि जो शिकायत हेलीमंडी पुलिस, पटौदी के एसडीएम को की गई उस सरकारी नुकसान की भरपाई के लिए कितनी रकम और किस विभाग से अथवा किस अधिकारी से वसूली गई है ? या मामले को कथित राजनीतिक दबाव में गोलमोल किया जा चुका है । इस संदर्भ में कोई भी संबंधित अधिकारी और विभाग कुछ भी बोलने से कन्नी काट रहा है । इससे भी बड़ा सवाल यह है की बिना किसी कसूर और साक्ष्य के किस आधार पर वार्ड नंबर 2 और 3 के गरीब दैनिक कामकाजी, मजदूर परिवारों को सरकारी नुकसान के लिए किस सक्षम अधिकारी की रिपोर्ट पर दोषी ठहरा कर बदनाम सहित लिखित में दोषी ठहराया गया है? इस पूरे प्रकरण से यह बात साफ हो जाती है कि जब संबंधित विभाग के अधिकारी अथवा विभाग पर कानूनी कार्रवाई का शिकंजा कसने लगता है तो बिना किसी सक्षम अथॉरिटी अथवा अधिकारी की जांच के बिना ही आम, अनजान, मासूम लोगों के सिर ठीकरा फोड़कर अपनी खाल बचाने का रास्ता बना अपने से वरिष्ठ अधिकारियों को भी गुमराह करते हुए धोखे में रखने से भी इन्हें कोई परहेज सहित हर्ज नहीं रहता है ।