कांग्रेस के कद्दावर नेता रह चुके हैं प्रणब मुखर्जी।
मनीषबलवान सिंह जांगड़ा, हिसार

भारत में कोरोना का संक्रमण आम जनता से हाइप्रोफाइल लोगों में भी बढ़ता जा रहा है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा व उनकी बेटी समेत कई वीआईपी राजनेता कोरोना की चपेट में आये हैं। इसी कड़ी में भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। इसकी जानकारी उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से दी।
उन्होंने लिखा, "किसी दूसरे काम के लिए मैं अस्पताल गया था जहां टेस्ट करवाने पर मैं कोरोना पॉजिटिव पाया गया हूं। पिछले हफ़्ते जिन लोगों के मैं संपर्क में आया हूं वो खुद को कृपया आइसोलेट कर ले व अपना कोरोना टेस्ट करवा ले।"

शिक्षक व पत्रकार बनने के बाद राजनीति में आए।

बंगाल के ब्राह्मण परिवार में जन्मे प्रणब मुखर्जी के पिता स्वंतत्रता सेनानी थी। प्रणब मुखर्जी ने कोलकाता यूनिवर्सिटी से एमए राजनीतिक विज्ञान, इतिहास व एलएलबी की डिग्री ली। कोलकाता में डिप्टी जनरल अकाउंट में उच्च स्तर के क्लर्क रहे व बाद मे विद्यानगर(कोलकाता) के कॉलेज में राजनीतिक विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में पढ़ाया। राजनीति में आने से पहले उन्होंने देशर डाक(बंगाल की मां) में बतौर पत्रकार काम किया।

इंदिरा गांधी के साथ राजनीतिक कैरियर की शुरआत की

प्रणब मुखर्जी ने 1969 में कांग्रेस में अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ की राज्यसभा के सदस्य के रूप में की। उन्हें पहली बार 1982-84 रक्षा मंत्री बनाया गया। राजनीति से इस्तीफा देने से पहले प्रणब मुखर्जी देश के राष्ट्रपति के पद के अलावा भी कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनके राजीव गांधी से संबंध अच्छे नही रहे तो उन्होंने राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस नाम से अलग पार्टी बनाई। लेकिन 1989 में राजीवगांधी से बातचीत के बाद पार्टी का विलय कांग्रेस में हो गया। 

राजीव गांधी की हत्या के बाद 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने उन्हें योजना आयोग का का उपाध्यक्ष बनाया व 1995 में विदेश मंत्री बनाया गया। 2004 में उन्होंने पहली बार लोकसभा का चुनाव जीता। 2012 में पार्टी से इस्तीफ़े से पहले मनमोहन सरकार में उन्हें दूसरे नम्बर के नेता का दर्जा दिया गया। यूपीए की सरकार में उन्होंने विभिन्न मंत्रालय संभाले। 2004 से 2006 तक रक्षा मंत्रालय, 2006 से 2009 तक विदेश मंत्रालय, 2009 से 2012 तक विदेश मंत्रालय इसके साथ ही वे 2004 से 2012 तक सदन के नेता भी रहे क्योंकि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह राज्यसभा से संसदीय दल के नेता थे। 2012 में प्रणब मुखर्जी यूपीए की तरफ से राष्ट्रपति पद के लिए नामित किए गए व 70 फीसदी इलेक्ट्रोल वोट की जीत के साथ पीएस संगमा को हराकर भारत के 13वें राष्ट्रपति चुने गए।

2018 में राष्ट्रपति द्वारा भारत रत्न दिया गया।

जून 2018 में प्रणब मुखर्जी देश के पहले पूर्व राष्ट्रपति बने जिन्होंने आरआरएसएस(राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) के प्रोग्राम में हिस्सा लिया। प्रणब मुखर्जी द्वारा आरआरएसएस के फाउंडर केशव बलराम हेडगेवार को "मदर ऑफ इंडिया" कहने पर क़ाफी विवाद हुआ। 2019 में एनडीए(नेशनल डेमोक्रेटिक अलायन्स) में प्रणब मुखर्जी को देश का सबसे बड़ा पुरस्कार "भारत रत्न" भी दिया गया है।

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