पूर्व प्रधानमंत्री हरीरि की हत्या पर चल रहे मुकद्दमा के फैसले से एक दिन पहले हुआ हमला।

मनीषबलवान सिंह जांगड़ा, हिसार
लेबनान की राजधानी बेरूत में हुए विस्फ़ोट से पूरा लेबनान दहक गया है। विस्फोट में अबतक 80 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है व क़रीब 3800 लोग घायल हैं। लेबनान के प्रधानमंत्री हसन दिआब ने बुधवार को राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। अधिकारियों के कहा कि पोर्ट पर गोदाम में भारी मात्रा में पिछले 6 साल से विस्फोटक सामग्री रखी हुई थी वहीं धमाका हुआ है। गोदाम में 2750 टन अमोनियम नाइट्रेट में धमाका हुआ। राष्ट्रपति माइकल इयोन ने ट्वीट कर कहा कि इससे मना नही किया जा सकता कि 2750 टन विस्फोटक सामग्री को असुरक्षित तरीक़े से रखा गया था। धमाका कैसे हुआ इसकी जांच जारी है।

भारी तबाही का मंज़र।

मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि हर तरफ़ भयावह मंज़र बना हुआ है। हर तरफ़ शव बिखरे हुए हैं आसपास की इमारतें ध्वस्त हो गई हैं। हर जगह शीशे व मलबा बिखरा हुआ है। धमाके की आवाज़ पूर्वी भूमध्यसागर में 240 किलोमीटर दूर साइप्रस तक सुनाई दी।

राष्ट्रपति ने बुलाई आपात मंत्रीमंडल की बैठक।

लेबनान के राष्ट्रपति माइकल इयोन ने विस्फ़ोट के बाद आपातकालीन कैबिनेट की मीटिंग बुलाई और दो हफ़्ते की इमरजेंसी की घोषणा की। प्रधानमंत्री हसन दिआब ने कहा कि दोषियों के ख़िलाफ़ कड़ी से कड़ी करवाई की जाएगी। लेबनान के उच्च स्तरीय रक्षा परिषद की मीटिंग के बाद जनरल सिक्योरिटी चीफ अब्बास इब्राहिम ने कहा कि बेरूत के तटीय इलाके पर बंदरगाह पर मौजूद गोदाम में 2750 टन अमोनियम नाइट्रेट में धमाका हुआ है।

लेबनान की आर्थिक हालात खराब।

विस्फ़ोट के बाद धुंए के बादल नज़र आये व दूर दूर तक तबाही का मंज़र बना हुआ है। इस विस्फ़ोट के बाद पहले से ही आर्थिक मोर्चे पर कमज़ोर सरकार को सदमा पहुंचाया है। लेबनान की आर्थिक व्यवस्था चौपट हो चुकी है। लेबनान की सड़कों पर पहले से ही सरकार विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं ऐसे में बेरूत के विस्फ़ोट ने सरकार की चिंताओं को बढ़ा दिया है।

लेबनान में लोग सरकार की ख़राब नीतियों से गुस्से में हैं। देश में बेरोजगारी, भष्ट्राचार, हाई टैक्स व ख़राब विदेशी नीतियों से युवा सड़कों पर सरकार विरोधी प्रदर्शन कर रहे हैं।

विस्फ़ोट से पहले सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों व सुरक्षाबलों में आपस में हाथापाई भी हुई थी। देश की आर्थिक हालात पर लोग नेताओं की जवाबदेही तय करने की मांग कर रहे हैं।

देश में हालत इतने बदतर हो गए हैं कि भुखमरी की चेतावनी दी रही है और साम्प्रदायिक हिंसा की भी आशंका जताई जा रही है। इस भयावह विस्फ़ोट ने लेबनान के पूर्व प्रधानमंत्री रफ़ीक हरीरि की मौत की याद दिला दी है। लेबनान के लोग उम्मीद कर रहे हैं कि ये विस्फ़ोट किसी पड़ोसी देश की साजिश न होकर महज़ कोई हादसा भर हो।

शिया व सुन्नी समुदाय में टकराव।

लेबनान सिर्फ आर्थिक मोर्चे पर ही नही पड़ोसी देशों के साथ विवादों में उलझा हुआ है। पश्चिमी एशिया में मौजूद लेबनान में कई धर्मों के लोग मौजूद हैं। लेबनान की जनसंख्या में 61.1 फ़ीसदी मुस्लिम समुदाय है जिसमें शिया व सुन्नी समुदाय के लोग शामिल है, 33.7 फ़ीसदी मेरोनाइट ईसाई ऑर्थोडॉक्स व क़रीब 6 फीसदी ड्रयूज़ लोग शामिल हैं। मध्यपूर्व के बाकि मुस्लिम देशों की तरह लेबनान में भी शिया व सुन्नी समुदाय का टकराव देखने को मिलता है। एक समझौते के अनुसार राजीनीतिक स्थिरता के लिए लेबनान ने राष्ट्रपति के पद को मेरोनाइत ईसाई, प्रधानमंत्री शिया समुदाय से व पार्लियामेंट के स्पीकर पद सुन्नी समुदाय के लिए रिजर्व रखा गया है। लेकिन इसी समझौता लेबनान की राजनीति में अस्थिरता का कारण बना हुआ है।

लेबनान में हिजबुल्ला जोकि एक ताक़तवर शिया समुदाय है जिसे ईरान की सरकार का समर्थन हासिल है। दूसरी तरफ़ सुन्नी समुदाय है जिसे सऊदी अरब व इजराइल का समर्थन हासिल है। ऐसे में दोनों की समुदायों के हितों का टकराव चलता रहता है। 

हिजबुल्ला का लेबनान की सरकार में हस्तक्षेप है जिसके ताक़तवर नेता को सैन्य व आर्थिक सहायता सीरिया व ईरान मुहैया करवाते हैं। अमेरिकी सरकार व यूरोपीय यूनियन ने हिजबुल्ला को आतंकवादी संगठन का दर्ज़ा दिया हुआ है। बेरूत के तटीय इलाके में हुआ विस्फ़ोट रफ़ीक़ साद हरीरि के हत्या पर फ़ैसले से ठीक एक दिन पहले हुआ है जिससे सरकार की चिंताएं बढ़ गई हैं।

क्या है रफ़ीक हरीरि की हत्या का मामला।

लेबनान के पूर्व प्रधानमंत्री रफ़ीक हरीरि की 15 फ़रवरी 2005 की कार बम धमाके में कर दी गई थी। सयुंक्त राष्ट्र का ट्रिब्यूनल इस हत्या के मामले में शुक्रवार को फ़ैसला देने जा रहा है। इसमे सभी चार संदिग्ध आरोपी ईरान समर्थित हिजबुल्ला समूह के हैं।

हालांकि सभी आरोपी हरीरि के हत्या के आरोप से इंकार करते रहे हैं। चारों संदिग्ध शिया मुस्लिम हैं इनके खिलाफ नीदरलैंड की अदालत में सुनवाई चली है। हरीरि को जब कार बम धमाके में मारा गया तो साथ में 21 लोगों की जान भी गई थी।

हरीरि लेबनान के मुख्य सुन्नी नेता थे। हत्या से पहले वह विपक्ष के साथ सरकारी नीतियों की आलोचना करने लगे थे। उन्होंने सीरिया की सेना को लेबनान से हटाने का भी समर्थन किया था जिकी 1975 से 2001 तक चले गृह युद्ध के बाद लेबनान में तैनात थी। हरीरि के हत्या के बाद हज़ारों की संख्या में सीरिया समर्थक सरकार के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आए थे। हरीरि की हत्या के पीछे सीरिया की ताक़तवर सरकार को जिम्मेदार ठहराया गया था। हत्या के दो हफ़्ते के भीतर सरकार को इस्तीफा देना पड़ा था और सीरिया को अपनी सेना वापस बुलानी पड़ी।

नीदरलैंड में चला मुकद्दमा।

सभी सबूतों को इकट्ठा करने के बाद सयुंक्त राष्ट्र व लेबनान की सरकार ने विस्फ़ोट की जांच के लिए 2907 में द हेग ने एक ट्रिब्यूनल का गठन किया। इस ट्रिब्यूनल ने ईरान समर्थित हिजबुल्ला के चार संदिग्ध लोगों पर आतंकवाद हत्या व हत्या की कोशिश के आरोप तय किए। हत्या से जुड़े पांचवे शख्स व हिजबुल्ला के सैन्य कमांडर मुस्तफ़ा अमीन को 2016 में सीरिया में हत्या कर दी गई। 

हमले से जुड़े एक पाँचवें शख़्स और हिजबुल्लाह के सैन्य कमांडर मुस्तफ़ा अमीन की 2016 में सीरिया में हत्या कर दी गई थी। हिजबुल्लाह के समर्थकों ने इस ट्रायल को ख़ारिज कर दिया है। उनका कहना है कि टट्रिब्यूनल राजनीतिक रूप से निष्पक्ष नहीं है।




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