मनीषबलवान सिंह जांगड़ा, हिसार
सयुंक्त राज्य अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से औपचारिक तौर से नाता तोड़ लिया है। मंगलवार को व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी आधिकारिक घोषणा की है। इससे पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की कोरोना वायरस महामारी को लेकर सार्वजनिक मंच से आलोचना भी की थी और डब्ल्यूएचओ से अमेरिका को हटाने की धमकी भी दी थी।

इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका पर सवाल उठाये थे। ट्रम्प ने कहा कि डब्लूएचओ चीन के नियंत्रण में है और डब्ल्यूएचओ ने चीन के हितों के लिए कोरोना वायरस को लेकर जानकारी छिपाई जिससे पूरी दुनिया बुरी तरफ़ से प्रभावित हुई।

व्हॉट हाउस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इसकी जानकारी सयुंक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटरेज को दे दी गई है। सीनेट की विदेश मामलों की समिति के शीर्ष डेमोक्रेट सेन रॉबर्ट मेनेंडेज ने ट्वीट कर बताया कि प्रशासन ने कांग्रेस को डब्ल्यूएचओ से खुद को औपचारिक तौर पर अलग करने की सूचना दी है। सीनेटर ने ट्वीट में कहा यह अमेरिका के हितों की रक्षा नही कर सकता। महामारी के बीच अमेरिका अकेला व बीमार पड़ गया है।


सबसे ज्यादा प्रभावित अमेरिका है।

अमेरिका कोरोना वायरस से बुरी तरह पीड़ित है। अमेरिका में 30 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से प्रभावित है और 1 लाख 31 हज़ार लोगों की मौत हो चुकी है। अमेरिका में नवम्बर में राष्ट्रपति के चुनाव होने हैं जिससे इन दिनों ट्रम्प द्वारा लिए फैसलों को चुनाव से भी जोड़ के देखा जा रहा है। 

अमेरिका विश्व स्वास्थ्य संगठन में सबसे ज़्यादा फंड देता है।
डॉनल्ड ट्रम्प ने मई में विश्व स्वास्थ्य संगठन से अमेरिका को अलग करने की घोषणा की थी। ट्रम्प ने कहा था कि अमेरिका डब्ल्यूएचओ को 40.5 करोड़ डॉलर(450 मिलियन डॉलर) की मदद करता है जबकि चीन केवल 4 करोड़ डॉलर(40 मिलियन डॉलर) की मदद करता है फिर भी चीन डब्ल्यूएचओ को नियंत्रित कर रहा है। ट्रंप ने कहा था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन उसके अनुरोध करने के बाद भी जरूरी सुधार करने में विफल रहा है, इसलिए हम डब्ल्यूएचओ के साथ अपने संबंधों को समाप्त कर देंगे। उन्होंने कहा कि अमेरिका डब्ल्यूएचओ की तरह सार्वजनिक स्वास्थ्य पर काम करने वाले अन्य संगठनों की मदद करेगा।
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