अब तक जिला के विभिन्न इलाकों के 72 तालाबों में डाली गई
 
एक दिन में 300 मच्छरों तक लारवा खाती है गंबूजिया मछली

फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम ।
 बरसात के मौसम में मच्छर जनित रोग जैसे डेंगू ,मलेरिया व चिकनगुनिया फैलने का खतरा बना रहता है जिसको भांपते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा गुरुग्राम जिला में पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। इन बीमारियों की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला के 72 तालाबों में गंबूजिया मछलियां डाली गई है। ये मछलियां मच्छरों के लारवा को नष्ट करती हैं और उन्हें खुले पानी में पनपने से रोकती हैं।

इस बारे में जानकारी देते हुए सिविल सर्जन डा. विरेन्द्र यादव ने बताया कि बरसात के मौसम में जलभराव वाले स्थानों पर मच्छर पैदा होने और उन मच्छरों से मच्छर जनित रोग जैसे मलेरिया, डेंगू व चिकनगुनिया फैलने का खतरा बना रहता है। उन्होंने बताया कि हाल ही में गांव वजीराबाद , घाटा, उल्लावास, टिकली और पलड़ा सहित कई अन्य गांवों के तालाबों में गंबूजिया मछली डाली गई है। एक तालाब में कम से कम 100 मछलियां डाली जाती हैं। एक अध्ययन के अनुसार एक मछली प्रतिदिन कम से कम 100 से 300 मच्छरों का लारवा खाती है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में जिला में 153 तालाब और जोहड़ है जिनमें से 117 स्थाई तथा 36 अस्थाई तालाब है। अस्थाई तालाबों में केवल बारिश के समय में जलभराव होता है। इन सभी तालाबों में गंबूजियां मछली डाली जाएंगी जो मच्छरों के प्रजनन को रोकने का कार्य करेंगी।
उन्होंने बताया कि मई से सितंबर माह के बीच डेंगू और मलेरिया बीमारी का खतरा अधिक बना रहता है, ऐसे में बिना किसी केमिकल के इस्तेमाल किए ईको फ्रेंडली तरीके से मच्छरों को पनपने से रोका जाता है। मछलियों को तालाब में डालने से वहां का पानी तो साफ  रहता ही है साथ ही मच्छर भी नही पनपते।  उन्होंने बताया कि गंबूजिया मछली कम पानी वाले तालाब में भी आसानी से रह सकती हैं । ये मछली तालाबों में मच्छरों का लारवा खत्म होने के बाद भी अधिक समय तक खुद को जीवित रख सकती हैं। मच्छरों के लारवा बनने के शुरुआती चरण में ही ये मछली उन्हें खा लेती है जिससे मच्छर नही पनपते। उन्होंने बताया कि तालाब में मछलियां डालने के बाद उस तालाब की समय-समय पर जांच भी की जाती है। आवश्यकता अनुरूप मछलियों की संख्या को घटाया बढ़ाया जाता है। तालाब की क्षमता से अधिक मछली होने पर कुछ मछलियों को उस तालाब से निकालकर दूसरे तालाब में डाल दिया जाता है।
डा. यादव ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा मच्छरों से होने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा है। साथ ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा लोगों को इन बीमारियों संबंधी बचाव उपायों के बारे में भी जागरूक किया जा रहा है।

सिविल सर्जन ने जिला वासियों से आहवान करते हुए कहा कि बारिश के मौसम में अपने घर या आसपास पानी को इकट्ठा ना होने दें क्योंकि डेंगू का मच्छर अक्सर साफ पानी में पनपता है। कूलर, खाली पड़े गमले, टायर अन्य खाली जगहों पर पानी को जमा ना होने दें।  घरों के ऊपर टंकी के पानी को ढक कर रखें और समय समय पर टंकी को साफ करते रहें। घर की छत पर पानी ना रूकने दें। डेंगू से बचाव का एक ही तरीका है और वह है सावधानी रखना। उन्होंने जिलावासियों को यह भी सलाह दी है कि कोई भी व्यक्ति डॉक्टर की सलाह के बिना दवा ना लें क्योंकि यह उसके जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। डाक्टर के परामर्श से ही दवा लेना सुरक्षित है।
   

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