कारगिल युद्ध के दौरान पौने 18 वर्ष की आयु में ही दे दी शहादत

पूर्व सैनिकों-गणमान्य लोगों ने कारगिल शहीदों को अर्पित किए पुष्प

फतह सिंह उजाला
पटौदी ।
 अहीरवाल का इतिहास सैनिकों की जांबाजी और शहादत का पूरी दुनिया में प्रेरणादाई इतिहास है।  अहीरवाल के ही इलाके पटौदी क्षेत्र में भी देश की रक्षा के लिए जान कुर्बान करने वालों की कोई कमी नहीं रही है । अट्ठारह सौ सत्तावन से लेकर हाल-फिलहाल तक पटौदी क्षेत्र के जांबाज सैनिक देश की रक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगाते आ रहे हैं ।

कारगिल विजय दिवस के मौके पर विश्व के सबसे कम आयु के शहीद विजेंद्र कुमार को उनके पैतृक गांव दौलताबाद कूणी में, शहीद स्मारक पर शहीद बृजेंद्र की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित कर नमन किया गया। विजेंद्र कुमार ने कारगिल युद्ध के दौरान महज पौने 18 वर्ष की आयु में ही अपनी जान की परवाह न करते हुए दुश्मनों के दांत खट्टे कर भारतीय सीमा की चैकी पर तिरंगा झंडा फहराते हुए अपनी जांबाजी का परिचय दिया और इस दुस्साहस कार्य में अपनी शहादत भी दे दी। रविवार को मेजबान गांव के सरपंच और सरपंच एकता मंच के जिला अध्यक्ष तथा विश्व हिंदू परिषद के जिला अध्यक्ष अजीत सिंह, भूतपूर्व सैनिक संघ हरियाणा के अध्यक्ष कैप्टन कंवर सिंह , टेसवा के राजेंद्र कुमार ,कैप्टन कंवर सिंह , जगमाल सिंह, रामकिशन , भूप सिंह , लक्ष्मण सिंह , महेंद्र सिंह , राजेश , राकेश , ब्रह्म प्रकाश, श्याम सिंह सहित अन्य ने सबसे युवा शहीद विजेंद्र कुमार और इसी गांव के ही वायु सेना में कैप्टन रहे कैप्टन शहीद परमजीत सिंह के शहीद स्मारक स्थल पर अपनी-अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की ।

इससे पहले पूर्व सैनिकों के संगठन के पदाधिकारी और गणमान्य लोगों के द्वारा पटौदी शहर में बने शहीद स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर सभी ज्ञात-अज्ञात शहीदों को नमन करते हुए अपनी-अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई । कारगिल युद्ध जिसे की दुनिया का सबसे कठिन भौगोलिक स्थिति में लड़ा गया युद्ध माना गया, उस युद्ध में पटौदी क्षेत्र के अलग-अलग गांवों से आठ जांबाज सैनिकों के द्वारा अपनी शहादत दी गई थी । रविवार को कारगिल युद्ध के इन सभी शहीदों को याद करते हुए आज की और आने वाली युवा पीढ़ी को इन शहीदों से प्रेरणा लेने का सभी के द्वारा आह्वान किया गया । गांव मुमताजपुर में कारगिल शहीद लांस नायक आजाद सिंह के स्मारक स्थल पर उनके परिजनों के द्वारा पुष्प चक्र अर्पित कर याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की गई । इस मौके पर और भी गणमान्य ग्रामीण मौजूद रहे । कारगिल विजय दिवस के मौके पर ही गांव रणसिंका के युवा शहीद कैप्टन कपिल कूंडू के शहीद स्मारक पर भी पूर्व सैनिकों, शहीद कूंडू के परिजनों के द्वारा पुष्प् अर्पित किये गए।

दौलताबाद कुणी गांव के सरपंच अजीत सिंह ने इस बात पर गहरा अफसोस जाहिर किया कि शहीदों के सम्मान में सरकार के द्वारा किए गए वायदों में से आज भी वायदे पूरे नहीं किए जा सके। इसका ठोस उदाहरण यही है कि दुनिया के सबसे युवा अथवा कम आयु के शहीद विजेंद्र कुमार के परिवार को कथित मजबूरी में गांव से ही पलायन करना पड़ गया है । वही भूतपूर्व सैनिक संघ के अध्यक्ष कैप्टन कंवर सिंह ने इस बात पर रोष जाहिर किया कि कारगिल विजय दिवस के मौके पर जहां शासन-प्रशासन के स्तर पर शहीदों के सम्मान में समारोह आयोजित किए जाते हैं , इस मामले में पटौदी क्षेत्र के शासन प्रशासन की उदासीनता बहुत ही अखरने वाली रही है । उन्होंने कहा कि शहीद किसी जाति, धर्म , वर्ग के ना होकर पूरे भारतवर्ष के ही शहीद होते है। ंवर्ष में एक ही मौका ऐसा आता है जब देश के लिए हंसते-हंसते अपनी जान न्योछावर करने वाले शहीदों को उनकी पुण्यतिथि के मौके पर याद किया जाता है। यदि ऐसे में किसी भी स्तर पर कथित रूप से उपेक्षा और अनदेखी की जाती है तो यह बात निश्चित रूप से खासतौर से सैनिकों के मन को और उनके परिजनों को बहुत पीड़ा पहुंचाती है । सैनिक, शहीद तमाम सुरक्षा बल और इनके परिजन शासन प्रशासन और समाज से केवल और केवल सम्मान की ही चाहत रखते हैं और इसी सम्मान से ही शहीद परिवारों का उत्साह बढ़ता है और युवा पीढ़ी को भी प्रोत्साहन मिलती है ।

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