जम्मू कश्मीर का विशेष दर्ज़ा कोई एहसान नही था।

मनीषबलवान सिंह जांगड़ा, हिसार
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में इंडियन एक्सप्रेस में लिखा कि जब तक जम्मू कश्मीर को प्रदेश का दर्ज़ा वापिस नही मिल जाता, वे विधानसभा का चुनाव नही लड़ेंगे। 

उन्होंने लिखा कि भारत के लोकतंत्र में केंद्र शासित प्रदेशों को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा दिया गया है लेकिन ये भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में पहली बार हुआ है कि किसी पूर्ण राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील कर दिया गया हो। जम्मू कश्मीर के विशेष दर्ज़े को खत्म करने पर उमर अब्दुल्ला समेत कई नेताओं को हिरासत में लिया गया था। उमर अब्दुल्ला को 232 दिनों के बाद 24 मार्च को रिहा किया गया था।

आंतकवाद पर पाबंदी लगाने में विफल हुई केंद्र सरकार।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने लिखा कि केंद्र सरकार दलील देती रही है कि अनुच्छेद 370 की वजह से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को रोकना मुश्किल था लेकिन अब एक साल बाद सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने क्यों कहा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाएं बढ़ी हैं।
 
पिछले साल 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने भारी संख्या में सुरक्षबलों की तैनाती के साथ जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्ज़े को समाप्त कर दिया था। अनुच्छेद 370 को निष्कर्ष करने के बाद जम्मू-कश्मीर में भय के कारण पैदा हुई प्रताड़ना के दौर को याद करते हुए उन्होंने लिखा कि इसे भूल पाना नामुमकिन है। उन्होंने आगे लिखा कि केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के लोगों का अपमान किया है। 
भाजपा ने अपने एजेंडे के लिए 70 साल के इतिहास को खत्म कर दिया।

उन्होंने लिखा कि लोकसभा और राज्यसभा ने मिलकर एक दिन से भी कम समय में जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ किये गए वादे को तोड़ दिया। उस सुबह जब मैंने टेलीविजन सेट पर जो देखा वो मायूस करने वाला था। उन्होंने लिखा कि भारतीय जनता पार्टी शुरू से ही जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्ज़े को ख़त्म करने की कोशिश कर रही थी। अनुच्छेद 370 को लेकर इन्होंने लोगों में झूठ का प्रचार किया। इन्होंने जो किया वो चौंकाने वाला नही था क्योंकि इनकी चुनावी एजेंडा ही रहा है। जम्मू-कश्मीर को दो भागों में तोड़ देना यहां की जनता को अपमान महसूस करवाना है।

इन्होंने लिखा कि केंद्र सरकार ने दलील दी थी की अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू-कश्मीर में निवेश कम है लेकिन पिछले एक साल में केंद्र सरकार निवेश लाने में नाकाम रही है। अलगाववाद पर भी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि पिछले एक साल में हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं।

राज्यपाल ने लोगों से झूठ बोला।

उन्होंने लिखा की केंद्र सरकार द्वारा भारी संख्या में केंद्रीय सुरक्षाबल भेजने पर राज्यपाल ने जम्मू-कश्मीर के लोगों से झूठ बोला था कि विधानसभा चुनावों को देखते हुए फोर्स भेजी गयी है। केंद्र सरकार ने चालाकी से विधानसभा को भंग किया व विधानसभा की ग़ैर मौजूदगी में राज्यपाल को जम्मू कश्मीर का प्रतिनिधि बना कर अनुच्छेद 370 को निष्कर्ष कर यहां से जनता से धोखा किया है।

प्रधानमंत्री ने 5 अगस्त को प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की। इस बैठक को मैं कभी भूल नही सकता। इसके बारे में फिर कभी लिखूंगा। बैठक में मौजूद हममे से किसी को नही आभास नही था कि अगले 72 घण्टों में क्या घटित होने वाला है। उन्होंने कहा कि मुझे आज तक ये समझ नही आया है कि ऐसे करने की क्या जरूरत थी। केंद्र सरकार ने बौद्ध बहुल जनसंख्या के आधार पर लद्दाख को जम्मू कश्मीर से अलग कर दिया इसके पीछे सरकार ने दलील दी कि लद्दाख के लोगों की ऐसे करने की मांग थी। अगर मांग के आधार पर बंटवारा हुआ है तो जम्मू कश्मीर की अलग राज्य को मांग को केंद्र सरकार ने क्यों नज़रंदाज़ किया। उन्होंने आगे कहा, "यदि धर्म के आधार पर ये बंटवारा किया गया है तो सरकार ने ये नजरअंदाज किया है कि लद्दाख के लेह और कारगिल जिले में बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय हैं और कारगिल के लोग जम्मू कश्मीर से अलग किए जाने पर कड़ा विरोध कर रहे हैं।"
जम्मू कश्मीर का विशेष दर्ज़ा कोई एहसान नही था।

उन्होंने कहा कि 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर के विशेष दर्ज़े को ख़त्म करना सुरक्षा, आर्थिक व सविंधानिक दृष्टि से जायज़ नही है। इसको लेकर जनता में रोष है।

उन्होंने लिखा कि जम्मू कश्मीर का विशेष दर्ज़ा कोई एहसान नही था। आज़ादी के बाद धर्म के आधार पर बने भारत और पाकिस्तान बने थे। पाकिस्तान समर्थित कबीलाई घुसपैठियों से यहां के लोगों ने सेना के साथ लड़ाई लड़ी थी और भारत में विशेष शर्तों पर शामिल हुए थे। जम्मू कश्मीर के इस कदम ने भारत को दुनियाभर में गर्व से सिर उठाकर धर्म निरपेक्ष होने का मौका दिया था।
जम्मू-कश्मीर ने अपने विशेष दर्ज़े को बने रहने देने के लिए सविंधान में विशेष प्रावधानों की मांग की थी। लेकिन विशेष दर्ज़े को लेकर कोई तय सीमा नही रखी गई थी।

नेशनल कॉन्फ्रेंस इसका विरोध करती रहेगी।

उमर अब्दुल्ला ने लिखा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्ज़े को खत्म करने बाबत लिए गए फैसले से समहत नही है और न ही हम इसे स्वीकार करते हैं। हम इसका लागातर विरोध करते रहेंगे। पिछले साल सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिका में हमने अपना विरोध भी जाहिर किया है। हमने हमेशा लोकतंत्र और शांतिपूर्ण विपक्ष में विश्वास किया है।

उन्होंने कहा कि जहां तक मेरा सवाल है जब तक जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा नही मिल जाता मैं विधानसभा के चुनाव नही लड़ूंगा।

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