मनीषबलवान सिंह जांगड़ा, हिसार
हिसार के नंगथला में एक ही परिवार की 50 से अधिक भैंसों की सिलसिलेवार मौत से पशुपालन विभाग में कोहराम मचा हुआ है। वीरवार को 4 भैंसों की मौत के साथ मौत का आंकड़ा 54 तक पहुंच गया है। 

बुधवार को लाला लाजपतराय यूनिवर्सिटी से डॉ नरेश जिंदल, वरिष्ठ वैज्ञानिक व अध्यक्ष वेटरनरी हेल्थ डिपार्टमेंट के नेतृत्व में आई वैज्ञानिकों की टीम ने मौके से पशुओं की लार व ब्लड सैंपल लिए हैं। इसके साथ ही दो पशुओं का पोस्टमार्टम भी किया गया है। पशुओं की मौत का कारण अभी स्पष्ट नही हुआ है लेकिन वैज्ञानिकों ने प्रारंभिक जांच के बाद क्लोस्ट्रीडियम बैक्टीरिया के संक्रमण की बात कही है।

बुधवार को हरियाणा पशुपालन विभाग डायरेक्टर जनरल डॉ बीएस लौरा, जॉइंट डायरेक्टर डॉ कल्पना सिंह व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने नंगथला गांव की डायरी में जाकर हालात का जायज़ा लिया। डीजी डॉ बीएस लौरा ने डायरी संचालक को हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया।

30 साल से अधिक समय से चला रहे हैं पशु डायरी।

नंगथला गांव की एक ढाणी में रणवीर व उनके भाई सभी मिलकर 30 साल से पशु डायरी चला रहे हैं। उनकी डायरी में करीब 110 पशु मौजूद हैं जिसमें 30 गोवंश यानि गाय हैं। डायरी संचालक ने बताया कि 5 दिन पहले अचानक से एक भैंस चारा खाते-खाते गिर गई और उसकी मौत हो गई। उन्होंने बताया की इतने पशुओं में एक पशु की मौत पर हमने ध्यान नही दिया फिर शनिवार को 3 भैंसें और मर गई। इसके बाद हमने स्थानीय पशुचिकित्सक को बुलाया तो उन्होंने दवा लिख दी लेकिन रविवार को 9 व मंगलवार को 11 और फिर धीरे-धीरे संख्या बढ़ती चली गई। अब तक 54 भैंसों की मौत हो चुकी है। 

दवाइयों का सारा ख़र्च विभाग उठाएगा।

भैंसों की मौत पर लाला लाजपतराय यूनिवर्सिटी व पशुपालन विभाग मिलकर बीमारी का पता व पशुओं का प्राथमिक इलाज़ कर रहे हैं। दिन-रात पशुपालन विभाग की टीम पशुओं की देखभाल कर रही है और निरतंर पशुओं का तापमान चेक किया जा रहा है। राज्यमंत्री अनूप धानक व जॉइंट डायरेक्टर डॉ कल्पना सिंह ने विभाग को निर्देश दिए हैं की पशुओं के इलाज़ पर आने वाला सारा ख़र्चा विभाग उठाये व पशुओं का पुनः टिकाकरण किया जाए। 

विभाग द्वारा 50 लाख रुपये के बिना ब्याज़ के बीमा की सुविधा दी जाएगी।

डिप्टी डायरेक्टर डॉ राजेन्द्र वत्स ने कहा की किसान को हर संभव मदद दी जाएगी। उन्होंने बताया की सीधा अनुदान तो नही मिल सकता लेकिन भविष्य में पशुओं की ख़रीद के लिए विभाग 40-50 लाख रुपये के लोन की सुविधा दी जाएगी ताकि किसान के नुकसान की कुछ हद तक भरपाई की जा सके।

क्या होता है क्लोस्ट्रीडियम बैक्टीरिया।

क्लोस्ट्रीडियम जीवाणुओं का एक वर्ग होता है जिसमे कई प्रकार के बैक्टेरिया होते हैं। ये बैक्टीरिया मिट्टी, आप-पास के गन्दे वातावरण, पशुओं के बासी खाने या संक्रमित पानी में पाए जाते हैं जोकि एक संक्रमण से एक पशु से दूसरे पशु में चले जाते हैं। इस बैक्टेरिया से पशुओं में थकावट, तापमान में बढ़ोतरी, चारा न खाना, गले में घुटन व आंत में इंफेक्शन जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इस बैक्टीरिया से संक्रमित पशु की मौत कुछ समय में ही हो सकती है अगर उसे समय रहते अच्छा इलाज़ न मिले तो।

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