5+3+3+4 का फॉर्मूला लागू होगा, एमएचआरडी      का नया नाम शिक्षा मंत्रालय।

मनीषबलवान सिंह जांगड़ा, हिसार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में बुधवार को देश की नई शिक्षा नीति व मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलने को लेकर अहम फैसले लिए गए। मंत्रिमंडल ने बैठक में नई शिक्षा नीति के प्रस्ताव को पास कर दिया है व एमएचआरडी का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया है। शाम को एमएचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक व सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस वार्ता में अधिक जानकारी दी। प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली बैठक में 21वीं सदी की नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा कि चूंकि 34 सालों से शिक्षा नीति में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नही हुआ था। उम्मीद करता हूं कि पूरा देश इसका स्वागत करेगा। 

एमएचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल ने बताया कि नई शिक्षा नीति हमने देशभर में शिक्षाविदों व शोधकर्ताओं,विशेषज्ञों, अभिवावकों, 2 लाख से ज़्यादा ग्राम पंचायत सदस्यों की सलाह व मदद से हमने नई शिक्षा नीति तैयार की है। लोगों से पूछा गया था कि आप शिक्षा नीति में क्या बदलाव लाना चाहते हैं। हमारे पास 2 लाख से ज़्यादा सुझाव आये थे। उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा व स्कूली शिक्षा के लिए अलग-अलग टीमों का गठन किया गया था।

केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल ने बताया कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि शुरुआत में इसका नाम शिक्षा मंत्रालय ही था लेकिन 1985 में नाम बदलकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय कर दिया गया था।

34 साल बाद नई शिक्षा नीति।

पूर्व इसरो प्रमुख डॉ के. कस्तूरीरंगन व टीएसआर सुब्रमण्यम की अध्यक्षता वाली समिति ने नई शिक्षा नीति का मसौदा तैयार किया है। इससे पहले 1986 में शिक्षा नीति लागू की गई थी। 1992 में इसमे संसोधन किये गए थे यानि 34 साल बाद नई शिक्षा नीति लागू की गई है।

5+3+3+4 का नया फॉर्मूला।

नई शिक्षा नीति में 10+2 का फॉर्मूला पूरी तरफ ख़त्म कर दिया गया है। इसे बदलकर 10+2 से बांटकर 5+3+3+4 के फॉर्मेट में कर दिया गया है। जिसके तहत अब स्कूल में पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा 1 और 2 समेत फाउंडेशन स्टेज़ होंगे। अगले तीन साल मध्य स्तर कक्षा 3 से 5 तक होंगे। इसके बाद तीन साल कक्षा 6 से 9 व चार साल माध्यमिक अवस्था कक्षा 9 से 12 तक होंगे। इसके अलावा स्कूलों में आर्ट्स, कॉमर्स या साइंस को चुनने को लेकर कोई कठोर नियम नही होगा। छात्र अब जो सिलेबस चुनना चाहे वो चुन सकते हैं।

कक्षा पांचवीं तक मातृ भाषा में पढ़ाया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि कक्षा पांचवीं तक बच्चों को उनकी मातृ भाषा में पढ़ाया जाएगा हालांकि उन्होंने कहा कि कोई भी भाषा थोपी नही जाएगी। बाक़ी विषय चाहे वो अंग्रेजी ही क्यों न हो उसे एक विषय के तौर पर पढ़ाया जाएगा। 9वीं से 12वीं कक्षा तक सेमेस्टर के हिसाब से परीक्षाएं होंगी। कॉलेज की डिग्री 3 व 4 साल की होगी। प्रथम वर्ष सर्टिफिकेट, दूसरे वर्ष डिप्लोमा व तीसरे साल डिग्री मिलेगी। मास्टर्स की पढ़ाई के लिए 4 साल की ग्रेजुएशन की पढ़ाई करनी होगी। 

3 साल की ग्रेजुएशन उन छात्रों को लिए होगी जो हायर एजुकेशन नही करना चाहते वहीं जिन्हें हायर एजुकेशन करनी है उन्हें 4 साल की ग्रेजुएशन करनी होगी। इसके साथ 4 साल की डिग्री करने वाले छात्र एम.ए एक साल में कर सकेंगे।

अब छात्रों को एमफिल करने की जरूरत नही है बल्कि एम.ए करने के बाद पीएचडी कर सकेंगे।

नई शिक्षा नीति में स्कूलों से दूर 2 करोड़ बच्चों को मुख्यधारा में शामिल करने का लक्ष्य बनाया गया है।
सामाजिक व आर्थिक नजरिये से वंचित समूहों पर विशेष जोर दिया जाएगा।

शिक्षा में जीडीपी का 6 फ़ीसदी खर्च करने का लक्ष्य बनाया गया है जोकि अभी 4.43 फीसदी है।

उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फ़ीसदी GER(Gross Enrolment Ratio) पहुंचाने का लक्ष्य बनाया गया है। फ़िलहाल जीइआर 2018 के आंकड़ों के अनुसार 26.3 फीसदी है। उच्च शिक्षा में 3.5 करोड़ नई सीट जोड़ी जाएंगी।

एनसीईआरटी 8 वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (एनसीपीएफ़ईसीसीई) के लिए एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा विकसित करेगा।

स्कूलों में शैक्षणिक धाराओं, पाठ्येतर गतिविधियों और व्यावसायिक शिक्षा के बीच ख़ास अंतर नहीं किया जाएगा।

नई शिक्षा नीति के तहत 2030 तक 3-18 की आयु के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का लक्ष्य बनाया गया है।

छठी क्लास से वोकेशनल कोर्स शुरू किए जाएंगे। इसके लिए इच्छुक छात्रों को छठी क्लास के बाद से ही इंटर्नशिप करवाई जाएगी। इसके अलावा म्यूज़िक और आर्ट्स को बढ़ावा दिया जाएगा। इन्हें पाठयक्रम में लागू किया जाएगा।

उच्च शिक्षा के लिए एक सिंगल रेगुलेटर रहेगा। कानून और मेडिकल शिक्षा को छोड़कर समस्त उच्च शिक्षा के लिए एक एकल अति महत्वपूर्ण व्यापक बॉडी के रूप में भारत उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआई) का गठन किया जाएगा।

Previous Post Next Post