ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि अमेरिकी प्रतिबंधों और कोरोना महामारी की वजह से ईरान अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहा, कोविड-19 ने अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान पहुंचाया है और अमेरिकी प्रतिबंधों ने हालातों को और बिगाड़ दिया है।
रविवार को सरकारी चैनल पर दिए अपने भाषण में रूहानी ने कहा की दुश्मन देश के आर्थिक दबाव और कोरोना महामारी की वजह से ये साल ईरान के लिए सबसे बुरा साल है। उन्होंने कहा की 2018 के बाद बनाया गया आर्थिक दवाब अब और बढ़ गया है जिसकी वजह से ये संकट पैदा हुआ है।
साल 2018 में अमेरिका ने ईरान डील से खुद को अलग कर लिया था।
साल 2018 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने साल 2015 में जॉइंट कॉम्प्रीहेंशीव प्लान ऑफ एक्शन(जेसीपीए) जिसे अमेरिका-ईरान डील भी कहा जाता है, से अमेरिका को बाहर निकाल लिया था। ईरान डील में अमेरिका समेत 6 देशों ने हस्ताक्षर किये थे। डील के तहत ईरान को प्रतिबंधों को हटाने के बदले अपने परमाणु कार्यक्रम पर नियंत्रण करना था। इस डील से बाहर आने के बाद अमेरिका ने अपने प्रतिबंधों को बढ़ा दिया था। जिसकी वजह से ईरान आर्थिक रूप से दुनिया के बाजार से अलग-थलग हो गया है।
कोरोना महामारी ने मुसीबत और बढ़ाई।
दुनियाभर में कोरोना संकट से बचने के लिए सरकारों ने लॉकडाउन लगाया है जिसका असर कच्चे तेल के व्यापार पर भी हुआ है। ईरान की अर्थव्यवस्था कच्चे तेल के व्यापार पर निर्भर है। लॉकडाउन में कच्चे तेल की कीमत सबसे निचले स्तर पर पहुंच गयी थी जिससे ईरान को काफ़ी नुकसान हुआ।
चीन के बाद और यूरोप से पहले कोरोना वायरस महामारी ने ईरान को प्रभावित किया था। ईरान के स्वास्थ्य विभाग की प्रवक्ता सिमा सादत लारी ने बताया में ईरान में अब तक कोरोना संक्रमण के दो लाख 22 हज़ार 669 केस दर्ज किये गए हैं और दस हज़ार से ज़्यादा लोगों की कोविड-19 से मौत हुई है। हसन रूहानी ने कहा अगले रविवार से ईरान के भीड़भाड़ वाले स्थानों पर और चिह्नित रेड जॉन में मास्क पहनना अनिवार्य हो जाएगा।