15 घंटे बीत जाने के बाद भी नहीं ली गई मृतक की सुध
डॉक्टरों ने किया मृत घोषित ,पाटोदा का रहने वाला था मृतक
पटौदी अस्पताल प्रशासन ने नहीं दी जिला मुख्यालय पर सूचना
एसएमओ नीरू थी मौजूद , बाद में रवाना हुई बैठक को गुरुग्राम
फतह सिंह उजाला
पटौदी । पटौदी देहात में कोराना कोविड-19 पहले ही पूरी तरह से बेलगाम दिखाई दे रहा है । सोमवार को बेहद गंभीर और लापरवाही पटौदी नागरिक अस्पताल और यहां के एसएमओ सहित कोविड-19 के नोडल अधिकारी की सामने आई है । इस मामले में कोरोना पाॅजिटिव की डेड बाडी के यहां रहते पटौदी एसएमओ डॉक्टर नीरू यादव मौजूद थी, बाद में बैठक के लिए गुरुग्राम रवाना हुई। डॉ नीरु यादव जिला गुरुग्राम सीएमओ डॉक्टर वीरेंद्र यादव, जिला के कोरोना नोडल नोडल अधिकारी डॉ जय प्रकाश को भी एसएमएस डालकर घटना के बारे में जानकारी मांगी गई । लेकिन समाचार लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं मिला। मृतक के परिजनों, रिश्तेदारों और ग्रामीणों के द्वारा हंगामा किया जाने के बाद ही कोरोना पॉजिटिव डेड बॉडी को सैनिटाइज कर ब्लैक पॉलीथिन में बांधकर एंबुलेंस के द्वारा गुरुग्राम के लिए रवाना किया गया।
इस पूरे प्रकरण में कथित रूप से पाटोदी नागरिक अस्पताल और यहां के जिम्मेदार चिकित्सा अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है । मृतक किशोर जो कि साथ लगते गांव पाटोदा में ही किसी कंपनी में काम करता था। 2 तारीख को कंपनी में करोना कोविड-19 के सैंपल लिए गए थे, इसके बाद कंपनी के ही आधा दर्जन कर्मचारी पॉजिटिव पाए गए। इनमें से किशोर भी शामिल था, किशोर की पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद उसे क्वारंटाइन कर दिया गया । मृतक के पुत्र अमरजीत के मुताबिक क्वारंटाइन में रहते हुए उसके पिता को 6 तारीख रविवार को सांस लेने में परेशानी महसूस हुई , लेकिन पिता ने यह कहा की थोड़ी बहुत परेशानी हो सकती है घबराने की बात नहीं । अमरजीत के मुताबिक 6 और 7 सितंबर की मध्य रात्रि में वह करीब 3. 30 बजे अपने पिता को देखने गया तो उनकी सांसे नहीं चल रही थी ।
इसके बाद बिना देरी किए वह और गांव के ही निवासी विजय सहित अन्य परिचितों के साथ अपने पिता को एक पिकअप गाड़ी में लिटा कर पटौदी नागरिक अस्पताल पहुंचा । अमरजीत के आरोप अनुसार यहां पर पिकअप वाहन में ही उसके पिता लेटे हुए थे, जिनकी कथित रूप से मृत्यु हो चुकी थी । लेकिन बार-बार कहने के बावजूद भी अस्पताल के मौजूद किसी भी डॉक्टर के द्वारा पिकअप में लेटे मरीज को देखने और जांच करने की जरूरत महसूस नहीं गई । इसके बाद बड़ी मुश्किल से डॉक्टरों ने देखा तो मृत घोषित कर दिया । जबकि अस्पताल प्रशासन को बता दिया गया था कि पीड़ित व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव है और 2 तारीख को सैंपल लिए जाने के बाद 4 तारीख को ही पॉजिटिव रिपोर्ट आई थी ।
इस पूरे प्रकरण में सबसे हैरानी की बात यह है कि पटौदी नागरिक अस्पताल प्रशासन के द्वारा कोरोना काविड 19 पॉजिटिव मृतक के बारे में जिला मुख्यालय पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वीरेंद्र यादव, जिला के कोविड-19 नोडल अधिकारी जयप्रकाश सहित जिला प्रशासन को इस पूरे घटनाक्रम के बारे में अवगत कराना जरूरी नहीं समझा गया । सूत्रों के मुताबिक कोरोना कोविड-19 पॉजिटिव मृतक की डेड बॉडी सुबह 4. 30 बजे पटौदी नागरिक अस्पताल परिसर में पहुंच चुकी थी, इसके बाद सोमवार को एसएमओ डॉक्टर नीरू यादव दोपहर तक अस्पताल परिसर में ही मौजूद रही। हैरानी की बात यह है कि नागरिक अस्पताल प्रशासन पीड़ित परिवार को बार-बार पुलिस के पास जाने के लिए कहता रहा , जबकि यह सीधा सीधा स्वास्थ्य विभाग से संबंधित मामला है और सबसे बड़ा महत्वपूर्ण सवाल यही है कि पटौदी अस्पताल प्रशासन के द्वारा इस संवेदनशील मामले के बारे में बिना देरी किए अपने वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों सहित जिला प्रशासन को सूचित क्यों नहीं किया गया। इस बीच यह बात भी निकल कर आई है कि किसी व्यक्ति के द्वारा एसएमओ डा यादव से फोन पर संपर्क किया गया तो उन्होंने जवाब दिया कि मृतक के शव को उन्होंने डीप फ्रीजर में रखने के लिए निर्देश दे दिए हैं । हैरानी की बात यह है कि ऐसे मामले में बिना देरी किए जब पीड़ित परिवार के द्वारा सभी दस्तावेज और रिपोर्ट अस्पताल प्रशासन को सौंप दी गई थी, साथ ही अवगत करा दिया गया था।
तो मृतक के शव को बिना देरी किए सैनिटाइज कर पीपीई किट में बंद करके जिला मुख्यालय पर आगे की कार्यवाही के लिए क्यों नहीं भेजा गया। वही पटोदी नागरिक अस्पताल प्रशासन पीड़ित परिवार को पुलिस के पास जाने के लिए कहता रहा । कथित रूप से एक बार तो पुलिस ने भी मामला जिला झज्जर गांव पाटोदा का बता दिया, लेकिन जब पीड़ित को आधिकारिक रूप से पटौदी नागरिक अस्पताल में मृत घोषित किया गया तो यह मामला सीधे-सीधे पटौदी पुलिस के अधिकार क्षेत्र का हो गया । यह मामला मीडिया में सुर्खियों में आने के बाद पटौदी नागरिक अस्पताल प्रशासन ने अपनी किरकिरी होने के साथ-साथ तमाम प्रकार की जवाबदेही को देखते हुए करीब 15 घंटे के बाद कोरोना पॉजिटिव डेड बॉडी को सैनिटाइज कर पॉलिथीन में पैक कर गुरुग्राम रवाना करने में ही भलाई समझी लेकिन ।
समाचार लिखे जाने तक न तो पटौदी नागरिक अस्पताल के एसएमओ डॉक्टर नीरू यादव और न ही जिला मुख्यालय से मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वीरेंद्र यादव और जिला कोरोना कोविड-19 नोडल अधिकारी डा जय प्रकाश की तरफ से किसी भी प्रकार का स्वास्थ्य विभाग की तरफ से पक्ष सामने रखा गया। इस प्रकार यह बहुत बड़ा सवाल है कि जब किसी भी कोरोना कोविड 19 पॉजिटिव मृतक की डेड बॉडी 15-16 घंटे तक लापरवाही से खुले में रखी जाएगी, तो इस बात की क्या गारंटी है कि अस्पताल परिसर में आने वाले अज्ञानता बस खुले वाहन के आस पास घूमने वाले लोग भी कोरोना कोविड-19 संक्रमित होने से बचे रह सकेंगे।
डॉक्टरों ने किया मृत घोषित ,पाटोदा का रहने वाला था मृतक
पटौदी अस्पताल प्रशासन ने नहीं दी जिला मुख्यालय पर सूचना
एसएमओ नीरू थी मौजूद , बाद में रवाना हुई बैठक को गुरुग्राम
फतह सिंह उजाला
पटौदी । पटौदी देहात में कोराना कोविड-19 पहले ही पूरी तरह से बेलगाम दिखाई दे रहा है । सोमवार को बेहद गंभीर और लापरवाही पटौदी नागरिक अस्पताल और यहां के एसएमओ सहित कोविड-19 के नोडल अधिकारी की सामने आई है । इस मामले में कोरोना पाॅजिटिव की डेड बाडी के यहां रहते पटौदी एसएमओ डॉक्टर नीरू यादव मौजूद थी, बाद में बैठक के लिए गुरुग्राम रवाना हुई। डॉ नीरु यादव जिला गुरुग्राम सीएमओ डॉक्टर वीरेंद्र यादव, जिला के कोरोना नोडल नोडल अधिकारी डॉ जय प्रकाश को भी एसएमएस डालकर घटना के बारे में जानकारी मांगी गई । लेकिन समाचार लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं मिला। मृतक के परिजनों, रिश्तेदारों और ग्रामीणों के द्वारा हंगामा किया जाने के बाद ही कोरोना पॉजिटिव डेड बॉडी को सैनिटाइज कर ब्लैक पॉलीथिन में बांधकर एंबुलेंस के द्वारा गुरुग्राम के लिए रवाना किया गया।
इस पूरे प्रकरण में कथित रूप से पाटोदी नागरिक अस्पताल और यहां के जिम्मेदार चिकित्सा अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है । मृतक किशोर जो कि साथ लगते गांव पाटोदा में ही किसी कंपनी में काम करता था। 2 तारीख को कंपनी में करोना कोविड-19 के सैंपल लिए गए थे, इसके बाद कंपनी के ही आधा दर्जन कर्मचारी पॉजिटिव पाए गए। इनमें से किशोर भी शामिल था, किशोर की पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद उसे क्वारंटाइन कर दिया गया । मृतक के पुत्र अमरजीत के मुताबिक क्वारंटाइन में रहते हुए उसके पिता को 6 तारीख रविवार को सांस लेने में परेशानी महसूस हुई , लेकिन पिता ने यह कहा की थोड़ी बहुत परेशानी हो सकती है घबराने की बात नहीं । अमरजीत के मुताबिक 6 और 7 सितंबर की मध्य रात्रि में वह करीब 3. 30 बजे अपने पिता को देखने गया तो उनकी सांसे नहीं चल रही थी ।
इसके बाद बिना देरी किए वह और गांव के ही निवासी विजय सहित अन्य परिचितों के साथ अपने पिता को एक पिकअप गाड़ी में लिटा कर पटौदी नागरिक अस्पताल पहुंचा । अमरजीत के आरोप अनुसार यहां पर पिकअप वाहन में ही उसके पिता लेटे हुए थे, जिनकी कथित रूप से मृत्यु हो चुकी थी । लेकिन बार-बार कहने के बावजूद भी अस्पताल के मौजूद किसी भी डॉक्टर के द्वारा पिकअप में लेटे मरीज को देखने और जांच करने की जरूरत महसूस नहीं गई । इसके बाद बड़ी मुश्किल से डॉक्टरों ने देखा तो मृत घोषित कर दिया । जबकि अस्पताल प्रशासन को बता दिया गया था कि पीड़ित व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव है और 2 तारीख को सैंपल लिए जाने के बाद 4 तारीख को ही पॉजिटिव रिपोर्ट आई थी ।
इस पूरे प्रकरण में सबसे हैरानी की बात यह है कि पटौदी नागरिक अस्पताल प्रशासन के द्वारा कोरोना काविड 19 पॉजिटिव मृतक के बारे में जिला मुख्यालय पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वीरेंद्र यादव, जिला के कोविड-19 नोडल अधिकारी जयप्रकाश सहित जिला प्रशासन को इस पूरे घटनाक्रम के बारे में अवगत कराना जरूरी नहीं समझा गया । सूत्रों के मुताबिक कोरोना कोविड-19 पॉजिटिव मृतक की डेड बॉडी सुबह 4. 30 बजे पटौदी नागरिक अस्पताल परिसर में पहुंच चुकी थी, इसके बाद सोमवार को एसएमओ डॉक्टर नीरू यादव दोपहर तक अस्पताल परिसर में ही मौजूद रही। हैरानी की बात यह है कि नागरिक अस्पताल प्रशासन पीड़ित परिवार को बार-बार पुलिस के पास जाने के लिए कहता रहा , जबकि यह सीधा सीधा स्वास्थ्य विभाग से संबंधित मामला है और सबसे बड़ा महत्वपूर्ण सवाल यही है कि पटौदी अस्पताल प्रशासन के द्वारा इस संवेदनशील मामले के बारे में बिना देरी किए अपने वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों सहित जिला प्रशासन को सूचित क्यों नहीं किया गया। इस बीच यह बात भी निकल कर आई है कि किसी व्यक्ति के द्वारा एसएमओ डा यादव से फोन पर संपर्क किया गया तो उन्होंने जवाब दिया कि मृतक के शव को उन्होंने डीप फ्रीजर में रखने के लिए निर्देश दे दिए हैं । हैरानी की बात यह है कि ऐसे मामले में बिना देरी किए जब पीड़ित परिवार के द्वारा सभी दस्तावेज और रिपोर्ट अस्पताल प्रशासन को सौंप दी गई थी, साथ ही अवगत करा दिया गया था।
तो मृतक के शव को बिना देरी किए सैनिटाइज कर पीपीई किट में बंद करके जिला मुख्यालय पर आगे की कार्यवाही के लिए क्यों नहीं भेजा गया। वही पटोदी नागरिक अस्पताल प्रशासन पीड़ित परिवार को पुलिस के पास जाने के लिए कहता रहा । कथित रूप से एक बार तो पुलिस ने भी मामला जिला झज्जर गांव पाटोदा का बता दिया, लेकिन जब पीड़ित को आधिकारिक रूप से पटौदी नागरिक अस्पताल में मृत घोषित किया गया तो यह मामला सीधे-सीधे पटौदी पुलिस के अधिकार क्षेत्र का हो गया । यह मामला मीडिया में सुर्खियों में आने के बाद पटौदी नागरिक अस्पताल प्रशासन ने अपनी किरकिरी होने के साथ-साथ तमाम प्रकार की जवाबदेही को देखते हुए करीब 15 घंटे के बाद कोरोना पॉजिटिव डेड बॉडी को सैनिटाइज कर पॉलिथीन में पैक कर गुरुग्राम रवाना करने में ही भलाई समझी लेकिन ।
समाचार लिखे जाने तक न तो पटौदी नागरिक अस्पताल के एसएमओ डॉक्टर नीरू यादव और न ही जिला मुख्यालय से मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वीरेंद्र यादव और जिला कोरोना कोविड-19 नोडल अधिकारी डा जय प्रकाश की तरफ से किसी भी प्रकार का स्वास्थ्य विभाग की तरफ से पक्ष सामने रखा गया। इस प्रकार यह बहुत बड़ा सवाल है कि जब किसी भी कोरोना कोविड 19 पॉजिटिव मृतक की डेड बॉडी 15-16 घंटे तक लापरवाही से खुले में रखी जाएगी, तो इस बात की क्या गारंटी है कि अस्पताल परिसर में आने वाले अज्ञानता बस खुले वाहन के आस पास घूमने वाले लोग भी कोरोना कोविड-19 संक्रमित होने से बचे रह सकेंगे।