सूचना के विस्फ़ोट में फेक न्यूज़ की पहचान कर इससे बचने की ज़रूरत है।

मनीषबलवान सिंह जांगड़ा
हिसार। गुरुवार को डिफेंस कॉलोनी स्थित वानप्रस्थ सीनियर सिटीजन क्लब द्वारा 'मीडिया, मार्केट और टेक्नोलॉजी' के विषय पर वेबिनार विचार गोष्टी का आयोजन किया गया। जिसका संचालन दूरदर्शन के पूर्व डायरेक्टर अजित सिंह ने किया। वेबिनार में मुख्य वक्ता के तौर पर मीडिया विशेषज्ञ व पंजाब यूनिवर्सिटीज के स्कूल ऑफ़ कम्युनिकेशन की प्रोफेसर अर्चना सिंह ने कहा कि डिजिटल दुनिया में मीडिया मार्किट व टेक्नोलॉजी के मेल से समाज में होते बदलावों को पूरी तरफ से समझने व सही मीडिया के चुनाव करने में और इसके सही उपयोग के लिए, स्मार्टफोन के साथ साथ हमे भी स्मार्ट होने की जरूरत है।

हमारी पसंद-नापसंद पर नज़र रखी जा रही है।

प्रो. अर्चना सिंह ने कहा कि आज का मीडिया बड़े उद्यमों का हिस्सा है जो कि किसी भी व्यापार की तरह धन और प्रतिष्ठा कमाने के लिए कार्यरत है। इसी तरह डिजिटल टेक्नोलॉजी के उपयोग से सोशल मीडिया पर बेहिचक डाली हुई हर व्यक्ति की निजि जानकारी से उसकी पसंद नापसंद को भांपकर उसको विज्ञापन दिखाए जाते हैं। 

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि स्मार्टफोन या लैपटॉप पर कोई साइट सर्च करते हुए यदि आप दो कमरों के अपार्टमेंट जैसी किसी एड को जाने-अनजाने खोल लेते हैं, तो फिर यह एड और ऐसी ही एड का अंबार लग जाएगा क्योंकि बिग डेटा के एल्गोरिथम के जरिए आपकी रुचि का पता लगा लिया गया है। इसी तरह वॉट्सएप, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया पर आपके द्वारा किसी राजनेता की प्रशंसा या आलोचना का पता लगा कर आपके राजनैतिक विचारों को टिकाऊ बनाने का काम शुरू हो जाता है। हमें पता भी नहीं चलता कि किस तरह बिजनेस कंपनियां अपने लाभार्थ हमारे दिल और दिमाग पर कब्ज़ा करते जा रहे हैं। याद रखें, स्मार्टफोन में रखी गई हर जानकारी फेसबुक और गूगल जैसी कंपनियों को पता है और वे इसे बिजनेस कंपनियों को बेचती रही हैं।

सूचना के ब्लास्ट में फेक न्यूज़ से बचने की ज़रूरत है।

उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति, परिवार और समाज को इसके प्रति सजग रहना चाहिए वरना इसकी लत पड़ जाएगी और हम व्यक्ति न रह कर बिजनेस करने वालों के लिए केवल एक वस्तु, एक कस्टमर मात्र बन कर रह जाएंगे।

प्रो अर्चना सिंह ने कहा कि संचार माध्यमों में इस समय सूचना और ज्ञान का विस्फोट हो रहा है। फेक न्यूज चल रही हैं जिनसे बचने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कुछ सजग नागरिक समूह मीडिया की केवल लाभ की प्रवृति को रोकने और मीडिया को सही सरोकारों से जोड़ने के प्रयास कर रहे हैं। इस संबंध में उन्होंने बुंदेलखंड के एक समाचार पत्र का उदाहरण दिया कि किस प्रकार लोगों की छोटी छोटी समस्याओं को उठाकर "खबर लहरिया" नाम का यह अखबार कामयाब भी हो रहा है। 

वर्चुअल इंटेलीजेंसी से इंसान को रोबोट बनाया जा रहा है।

वहीं विचार गोष्टी का संचालन कर रहे दूरदर्शन के पूर्व डायरेक्टर न्यूज अजीत सिंह ने कहा कि वर्चुअल इंटेलिजेंस की टेक्नोलॉजी के जरिए जहां रोबोट को इंसानों जैसा बनाने की कोशिश हो रही हैं, इंसानों के दिमाग को काबू कर उन्हें रोबोटनुमा बनाने के प्रयास भी जारी हैं जिनसे बचने की ज़रूरत है। बिजली निगम के पूर्व मुख्य संचार अधिकारी डी पी ढुल ने कहा कि मीडिया की विश्वसनीयता घटती जा रही है जो चिंता का विषय है। तकरीबन 2 घण्टे चली विचार गोष्टी में 22 सदस्यों ने भाग लिया जिसमे पूर्व आई ए एस अधिकारी युद्धवीर ख्यालिया, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ सत्या सावंत, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व प्रो जे के डांग, हरीश भाटिया, नीलम प्रुथी, सतीश कालरा, पूर्व प्रिंसिपल राज गर्ग, मीडिया विशेषज्ञ डॉ प्रज्ञा कौशिक सहित अन्य सदस्य शामिल रहे। डॉ अर्चना के वक्तव्य के बाद कई सदस्यों ने विषय संबंधी प्रश्न भी पूछे जिनके डॉ अर्चना सिंह ने उत्तर दिए। 

वानप्रस्थ के जनरल सेक्रेटरी डॉ डांग ने बताया कि अगली वेबिनार विचार गोष्ठी शुक्रवार 18 सितंबर को 11 बजे होगी। इसमें डॉ कविता चौधरी न्यूट्रीशन एंड फिटनेस विषय पर चर्चा करेंगी।

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