हेली मंडी पालिका के नव निर्माणाधीन कार्यालय का मामला

आरटीआई कार्यकर्ता मुकेश गुप्ता के द्वारा किया गया आवेदन

आरटीआई को लेकर हेलीमंडी पालिका प्रशासन हुआ असहज

फतह सिंह उजाला
पटौदी । 
  सूबे की सरकार और सरकार के मुखिया सीएम मनोहर लाल खट्टर के साथ-साथ सरकार के सभी मंत्री और सत्ता पक्ष के एमएलए सरकारी कार्यों में पारदर्शिता के समर्थक रहे हैं, समर्थन कर रहे हैं और समर्थक रहेंगे । खट्टर सरकार अपने पहले ही कार्यकाल से जीरो टॉलरेंस की नीति को लेकर काम कर रही है और किसी भी प्रकार के कार्य विशेष रूप से विकास संबंधित कार्यों में पारदर्शिता को अपनी प्राथमिकता पर रखे हुए हैं ।

ऐसे ही मामले को लेकर पटौदी हल्के की हेलीमंडी नगरपालिका कार्यालय में आरटीआई कार्यकर्ता मुकेश गुप्ता के द्वारा आरटीआई के माध्यम से आवेदन करके हेलीमंडी नगरपालिका के नव निर्माणाधीन भवन के बारे में बहुत ही तकनीकी और महत्वपूर्ण जानकारियां मांगी गई है । कथित रूप से जब से यह आरटीआई पालिका कार्यालय में पहुंची है, उसके बाद से हेलीमंडी पालिका प्रशासन अपने आपको असहज महसूस कर रहा है । आरटीआई कार्यकर्ता के द्वारा जो जानकारी मांगी गई है , सवालों को देखते हुए यही महसूस होता है कि शायद ही हेलीमंडी पालिका प्रशासन अथवा हेलीमंडी नगर पालिका सूचना अधिकारी इस मामले में तय समय में जानकारी उपलब्ध करवा सकें ? क्योंकि वैसे ही निर्माणाधीन साइट पर विभिन्न प्रकार की अनियमितताएं दिखाई दे रही है ।

बहरहाल अब सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी से ही करीब सवा तीन करोड़ रुपए से अधिक के इस नव निर्माणाधीन पालिका कार्यालय के बारे में पारदर्शिता सामने आ सकेगी । सबसे अहम और महत्वपूर्ण सवाल यह है किया गया है कि भवन निर्माण के लिए निर्माणाधीन साइट पर जो समर्सिबल लगाया गया है , उसकी इजाजत किसने दी ? सूत्रों के मुताबिक कमर्शियल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन में भूमिगत समर्सिबल का पानी कथित रूप से इस्तेमाल नहीं किया जा सकता । यह कथित रूप से गैरकानूनी है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की जिला गुरूग्राम डार्क जोन घोषित किया हुआ है और ऐसे में तीन मंजिला भवन निर्माण के लिए एक समर्सिबल से भूमिगत कितना पानी निकलेगा इसका आकलन किया जाना  संभव नहीं । समर्सिबल के लिए क्या पालिका प्रशासन के द्वारा मंजूरी दी गई या जलापूर्ति एवं अभियांत्रिकी विभाग पटौदी के द्वारा यह सबमर्सिबल लगाने की इजाजत दी गई है ?

इसी कड़ी में यह भी जानकारी मांगी गई है की तीन मंजिला पालिका कार्यालय का जो निर्माण हो रहा है उसका करीब कुल वजन कितना हो सकता है और भवन का निर्माण के बाद जो वजन होगा वह वजन जिस स्थान पर इसका निर्माण हो रहा है वहां की जमीन सहन कर सकेगी ? इस विषय में आरटीआई कार्यकर्ता के द्वारा निर्माणाधीन पालिका कार्यालय की साइट की मिट्टी के सैंपल की सत्यापित रिपोर्ट मांगी गई है, कि क्या वास्तव में यहां की जमीन तीन मंजिला भारी-भरकम भवन के वजन को झेल सकेगी या सहन कर लेगी। वहीं यह भी जानने की कोशिश की गई है की जिस भी ठेकेदार अथवा कंस्ट्रक्शन कंपनी को यह ठेका दिया गया है, एग्रीमेंट में भवन निर्माण के लिए कौन सा पानी इस्तेमाल होगा अर्थात समर्सिबल का पानी, नहर का पानी या फिर एसटीपी का पानी भवन निर्माण में इस्तेमाल किया जाएगा ? यह जानकारी भी मांगी गई है ।
पालिका कार्यालय का नया भवन बनना चाहिए , यह हेलीमंडी नगर पालिका क्षेत्र के अलावा सभी नागरिक चाहते हैं लेकिन सरकार की एक नीति रही है कि जो भी काम हो उसमें पारदर्शिता का अभाव नहीं होना चाहिए । इसी बात को ध्यान में रखते हुए आरटीआई कार्यकर्ता को जहां मामले में झोल महसूस हुआ उसी को आधार बनाकर आरटीआई के माध्यम से पारदर्शिता के हितार्थ हेलीमंडी पालिका सूचना अधिकारी से जानकारी मांगी गई है । कि निर्माणाधीन साइट पर जो बिजली मीटर का कनेक्शन संबंधित ठेकेदार अथवा कंस्ट्रक्शन कंपनी के द्वारा लगाया गया है , उसकी फाइल में कितने वाट अथवा कितना लोड बिजली के लिए मंजूर किया गया है,  अथवा मंजूरी प्रदान की गई है । अब देखना यह है की क्या पालिका प्रशासन और पालिका के सूचना अधिकारी आरटीआई कार्यकर्ता के इन सवालों का जवाब देकर हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार की पारदर्शिता पर आरटीआई का जवाब देकर अपनी मुहर लगाते हैं या फिर मामले को लटका कर रखा जाएगा ।


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