पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसंघे को मिली क़रारी शिकस्त।

मनीषबलवान सिंह जांगड़ा, हिसार
कोरोना वायरस के चलते दो बार टालने के बाद 5 अगस्त को श्री लंका के संसदीय चुनावों के लिए वोटिंग हुई जिसकी  गिनती वीरवार को शुरू हुई। जिसमे शुरआती रुझानों में ही राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के बड़े भाई व पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को बहुमत मिलता दिख रहा था, वीरवार शाम तक हुए मतगणना में महिंदा राजपक्षे की एसएलपीपी(श्री लंका पीपल्स पार्टी) ने दो तिहाई बहुमत के साथ शानदार जीत दर्ज़ की है। एसएलपीपी को 225 में 145 सीटों में जीत मिली है व सहयोगी पार्टियों के साथ कुल मिलाकर 150 सीटों पर कब्ज़ा किया है। श्री लंका की करीब 1.6 करोड़ लोगों ने वोट किया जोकि श्री लंका की आबादी का 70 फीसदी है।
पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसंघे को मिली क़रारी हार।

श्री लंका के पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसंघे को क़रारी शिकस्त मिली है। वे अपने ससंदीय क्षेत्र से ही हार गए। 1977 के बाद पहली बार विक्रमसंघे को चुनावों में हार देखने को मिली है। उनकी पार्टी यूएनपी(यूनाइटेड नेशन फ्रंट) एक सीट ही जीत पाई व 2 लाख 49 हज़ार 435 वोट मिले।

वहीं चुनावों से पहले रानिल विक्रमसंघे की पार्टी से अलग होकर साजीथ प्रेमदासा ने नई पार्टी का गठन किया था जोकि पूर्व राष्ट्रपति राणासिंघे के बेटे हैं। उन्होंने 20 फ़ीसदी वोटों के साथ 20 सीटों पर जीत हासिल की। इसके साथ ही वह श्री लंका के मुख्य विपक्षीय पार्टी के नेता बन गए हैं। आंकड़ों के मुताबिक सजीथ की पार्टी सामगी जना बालवेगाया को 54 सीटें, तमिल पार्टी टीएनए को 10 व मार्क्सवादी जेवीपी को तीन सीटें हासिल हुई।

राजपक्षे परिवार की वापसी व सविंधान में संसोधन। 
संसदीय चुनावों में राजपक्षे की वापसी के कई मायने लगाए जा रहे हैं। महिंदा राजपक्षे मजबूत सिंघली नेता हैं जिन्होंने 2009 को 25 साल चले गृह युद्ध को खत्म किया किया था। महिंदा राजपक्षे को श्री लंका में एलटीटीपी(लिबरेशन टाइगर ऑफ़ तमिल एल्म) को ख़त्म कर देश में शांति बहाल करने का श्रेय दिया जाता है। उनके राष्ट्रपति होते हुए उनके छोटे भाई व वर्तमान के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे उस वक़्त रक्षा सचिव थे। 

2015 में तत्कालीन सरकार ने संसद में सविंधानिक सुधार करते हुए राष्ट्रपति की शक्तियों को कम कर दिया था जिससे राष्ट्रपति की प्रधानमंत्री को बर्खास्त करने की शक्ति कम हो गई थी। इन सुधारों के तहत न्यायपालिका, पुलिस व प्रसासन में बड़े पदों को स्वतंत्र कमीशन के तहत नियुक्ति के अधिकार मिले थे। 24 अप्रेल 2019 को श्री लंका की व्यवसायिक राजधानी कोलंबो में ईस्टर के दिन आत्मघाती हमले में 267 लोगों की मौत हुई थी जिससे तत्कालीन प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसंघे को देश में काफ़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।

राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने फिर से सविंधानिक सुधारों की जरूरत की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि राष्ट्रपति की ताक़त को राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता व देश को आतंकवाद से बचाने के लिए फिर से बढ़ाने की जरूरत है। कयास लगाए जा रहे हैं कि नई सरकार फिर से बहुमत का इस्तेमाल करते हुए सख़्त कानूनों को लागू करेगी जिससे अल्पसंख्यकों को मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन पर महिंदा राजपक्षे को बधाई दी।

शुरुआती रुझानों में महिंदा राजपक्षे की बढ़त के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय सम्बन्धों को आगे बढ़ाने व विशेष सम्बन्धों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का काम करेंगे।
राजपक्षे ने इसकी जानकारी ट्वीटर पर देते हुए लिखा,"फोन पर बधाई देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आपका शुक्रिया। श्री लंका के लोगों के समर्थन के साथ दोनों देशों के बीच चले आ रहे सहयोग को और आगे बढ़ाने के लिए आपके साथ मिलकर काम करने को उत्साहित हूं। श्री लंका व भारत अच्छे मित्र व सहयोगी हैं।"

आर्थिक चुनोतियों से जूझ रहा है श्री लंका।

पिछले साल ईस्टर पर हुए आतंकी हमले व कोरोना संकट के चलते श्री लंका का पर्यटन ,चाय व कपड़ा उद्योग ठप हो गया है। खाड़ी के देशों में भी कोरोना संकट के चलते उद्योग धंधे मंदे पड़े हैं जिसकी वजह से विदेशों में रह रहे श्री लंकाई लोगों से मिलने वाली आमदनी भी काफ़ी कम हो गई है। 

श्रीलंका को इस साल कुल विदेशी क़र्ज़ का 2.9 अरब डॉलर भुगतान करना है। इसे लेकर श्रीलंका ने भारत से क़र्ज़ अदायगी की मोहलत बढ़ाने और मुद्रा अदला-बदली की सुविधा देने को लेकर दो बार अनुरोध किए थे लेकिन भारत की तऱफ से मदद न मिलने पर श्री लंका ने चीन की तरफ रुख किया था। जिसके बाद 13 मई को चीनी राष्ट्रपति सी जिनपिंग व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे की बीच बातचीत में चीन ने श्री लंका को 50 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद की थी।

श्रीलंका पर कुल विदेशी क़र्ज़ क़रीब 55 अरब डॉलर है और यह श्रीलंका की जीडीपी का 80 फ़ीसदी है. इस क़र्ज़ में चीन और एशियन डिवेलपमेंट बैंक का 14 फ़ीसदी हिस्सा है। जापान का 12 फ़ीसदी, विश्व बैंक का 11 फ़ीसदी और भारत का दो फ़ीसदी हिस्सा है।

राजपक्षे परिवार पर पहले भी लगे हैं भ्रष्टाचार के आरोप।

इससे पहले महिंदा राजपक्षे पर राष्ट्रपति रहते हुए अपने परिवार के लोगों को सरकार में ऊंचे पदों पर आसीन करने के आरोप लगे थे। चीन के साथ भी उनके सम्बन्धों पर भी सवाल उठे थे। 2005 से 2015 तक सरकार में रहते हुए उन्होंने चीन से काफी नजदीकी बनाई जिसपर काफ़ी विरोध हुआ था। सबसे ज्यादा विवाद हंबनटोटा बंदरगाह को लेकर हुआ था जिसको विकसित करने के लिए श्रीलंका सरकार ने चीन की हार्बर इंजिनीयरिंग से 480 करोड़ का सौदा किया था। चीन का श्री लंका पर 800 करोड़ डॉलर का क़र्ज़ है जिसे चुकाने में श्री लंका असमर्थ है इसी वजह से श्री लंका को हंबनटोटा बन्दरगाह चीन को 99 साल के लिए लीज पर दिया गया था और 15000 एकड़ जगह एक इंडस्ट्रियल ज़ोन के लिए दी गयी थी।
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