जय महाकाल अस्पताल परिसर बोहड़ाकला में मौजूद थे 85 बेड
यहां पर करीब 50 बेड पर उपलब्ध थी ऑक्सीजन की सुविधा
बीते वर्ष 14 मार्च को जिला प्रशासन ने किया था अपना नियंत्रण
14 जुलाई 2020 तक यहां पर उपचाराधीन रहे कोरोना पीड़ित
फतह सिंह उजाला
पटौदी । पटौदी विधानसभा क्षेत्र के सबसे बड़े बोहड़ाकला गांव में प्राचीन हनुमान मंदिर के पीछे स्थित जय महाकाल जेएमके अस्पताल बनाम नीलकंठ अस्पताल के मामले में एक के बाद एक चैकाने वाले खुलासे होने लगे हैं । कोरोना महामारी को देखते हुए बहरहाल यह समय कोरोना पीड़ितों को स्वास्थ्य लाभ उपलब्ध करवाने की प्राथमिकता का है । लेकिन अस्पताल भवन परिसर के मामले में पहली बार ट्रस्ट के द्वारा खुलकर सामने आने के बाद से बेहद चैंकाने वाले खुलासे भी होने लगे हैं । बीते वर्ष मार्च में पूर्व जिलाधीश अमित खत्री के द्वारा महाकाल आश्रम बोहड़ाकला को नियंत्रण में लेने का पत्र जारी किया गया था , इसी के अंत में पटौदी एसडीएम की मार्फत महाकाल आश्रम बोहड़ाकला के साथ नीलकंठ अस्पताल का नाम भी शामिल था ।
अब ऐसे में लाख टके का सवाल यही है कि करीब सात-आठ माह के अल्प समय में ही यहां अस्पताल परिसर में उपलब्ध अधिकांश बेड व रोगियों की सुविधा के लिए अन्य साजो सामान आखिर गया तो कहां गया ? जय महाकाल ट्रस्ट के द्वारा सवाल उठाया गया है कि जिस समय जिलाधीश के द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र में अस्पताल को लिया गया और मुक्त किया गया अस्पताल में उपलब्ध बेड व अन्य साजो सामान किस के सुपुर्द लौटाया गया ! जय महाकाल ट्रस्ट के साथ-साथ सूत्रों के मुताबिक जय महाकाल अस्पताल में विभिन्न कमरों में 85 बेड रोगियों के उपचार एक काम में आने वाले विभिन्न साजो सामान उपलब्ध थे । करीब 50 बेड पर ऑक्सीजन सप्लाई की सुविधा भी उपलब्ध थी । वही सूत्रों के मुताबिक बीते वर्ष 14 मई को इसी कोविड-19 अथवा आइसोलेशन सेंटर में 50 पीड़ित स्वास्थ्य लाभ ले रहे थे, यह कथित रिकॉर्ड की बात है । अब ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि कम से कम जुलाई माह के बाद ही बीते वर्ष जिलाधीश के द्वारा संबंधित अस्पताल का जिस कार्य के लिए अधिग्रहण किया गया था उसे मुक्त भी किया गया होगा । मौजूदा समय में जय महाकाल ट्रस्ट के दावे के मुताबिक अस्पताल परिसर में अधिकांश सामान गायब ही हो चुका है ।
इसी कड़ी में और भी बेहद चैंकाने वाले तथ्य और जानकारी सामने आई है । महाकाल आश्रम बोहड़ाकला के कथित नीलकंठ अस्पताल के नाम पर 1 मई से 11 मई 2020 के दौरान लंच और डिनर के 777 पैकेट खरीदे गए। इस लंच और डिनर का बिल सदाबहार स्वीट एंड कैटरस के द्वारा 11 मई 2020 को 57110 रूपए का बनाया गया था । इसके बाद में 2 जून से लेकर 13 जुलाई 2020 के बीच में लंच और डिनर के कुल 1287 पैकेट नीलकंठ अस्पताल के नाम से खरीदे गए, अथवा मंगवाए गए । इनका बिल भी सदाबहार स्वीट एंड कैटरस के द्वारा 14 जुलाई 2020 को 94595 रूपए का बना हुआ है । इन दोनों बिल पर पटौदी के तहसीलदार कि स्टैंप सहित हस्ताक्षर भी अंकित है । अब इसी से रूप्ष्ट हो जाता है की बीते वर्ष 2020 में कम से कम अगस्त माह तक या फिर इसके बाद भी जय महाकाल अस्पताल बनाम नीलकंठ अस्पताल का कोरोना पीड़ितों के स्वास्थ्य लाभ के लिए उपयोग किया गया और जब उपयोग किया गया तो यहां पर उस समय रोगियों के लिए बेड से लेकर अन्य साजो सामान भी मौजूद अवश्य ही रहा होगा।
ऐसे में अब सवाल यही है कि आज के समय में अस्पताल का साजो सामान आखिर कैसे और कहां गायब हो गया ? अब जब करोना पूरी तरह से बेकाबू होता जा रहा है , ऐसे में प्राचीन हनुमान मंदिर बोहड़ाकला के पीछे मौजूद अस्पताल भवन में तैयार किए जाने वाले कोविड-19 सेंटर अथवा आइसोलेशन सेंटर के लिए नए सिरे से शासन प्रशासन को तमाम साजो सामान की व्यवस्था करते हुए खर्चा भी करना ही होगा। महामारी के दौरान कोरोना महामारी में संक्रमितो-पीड़ितों की जान बचाना अथवा स्वास्थ्य लाभ उपलब्ध करवाना शासन प्रशासन सहित सरकार की प्राथमिकता रहती है और यह कार्य होना भी चाहिए । लेकिन अब जो एक के बाद एक मामले निकल कर आ रहे हैं , आने वाले समय में इस बात से इंकार नहीं की और भी अधिक चैंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।
यहां पर करीब 50 बेड पर उपलब्ध थी ऑक्सीजन की सुविधा
बीते वर्ष 14 मार्च को जिला प्रशासन ने किया था अपना नियंत्रण
14 जुलाई 2020 तक यहां पर उपचाराधीन रहे कोरोना पीड़ित
फतह सिंह उजाला
पटौदी । पटौदी विधानसभा क्षेत्र के सबसे बड़े बोहड़ाकला गांव में प्राचीन हनुमान मंदिर के पीछे स्थित जय महाकाल जेएमके अस्पताल बनाम नीलकंठ अस्पताल के मामले में एक के बाद एक चैकाने वाले खुलासे होने लगे हैं । कोरोना महामारी को देखते हुए बहरहाल यह समय कोरोना पीड़ितों को स्वास्थ्य लाभ उपलब्ध करवाने की प्राथमिकता का है । लेकिन अस्पताल भवन परिसर के मामले में पहली बार ट्रस्ट के द्वारा खुलकर सामने आने के बाद से बेहद चैंकाने वाले खुलासे भी होने लगे हैं । बीते वर्ष मार्च में पूर्व जिलाधीश अमित खत्री के द्वारा महाकाल आश्रम बोहड़ाकला को नियंत्रण में लेने का पत्र जारी किया गया था , इसी के अंत में पटौदी एसडीएम की मार्फत महाकाल आश्रम बोहड़ाकला के साथ नीलकंठ अस्पताल का नाम भी शामिल था ।
अब ऐसे में लाख टके का सवाल यही है कि करीब सात-आठ माह के अल्प समय में ही यहां अस्पताल परिसर में उपलब्ध अधिकांश बेड व रोगियों की सुविधा के लिए अन्य साजो सामान आखिर गया तो कहां गया ? जय महाकाल ट्रस्ट के द्वारा सवाल उठाया गया है कि जिस समय जिलाधीश के द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र में अस्पताल को लिया गया और मुक्त किया गया अस्पताल में उपलब्ध बेड व अन्य साजो सामान किस के सुपुर्द लौटाया गया ! जय महाकाल ट्रस्ट के साथ-साथ सूत्रों के मुताबिक जय महाकाल अस्पताल में विभिन्न कमरों में 85 बेड रोगियों के उपचार एक काम में आने वाले विभिन्न साजो सामान उपलब्ध थे । करीब 50 बेड पर ऑक्सीजन सप्लाई की सुविधा भी उपलब्ध थी । वही सूत्रों के मुताबिक बीते वर्ष 14 मई को इसी कोविड-19 अथवा आइसोलेशन सेंटर में 50 पीड़ित स्वास्थ्य लाभ ले रहे थे, यह कथित रिकॉर्ड की बात है । अब ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि कम से कम जुलाई माह के बाद ही बीते वर्ष जिलाधीश के द्वारा संबंधित अस्पताल का जिस कार्य के लिए अधिग्रहण किया गया था उसे मुक्त भी किया गया होगा । मौजूदा समय में जय महाकाल ट्रस्ट के दावे के मुताबिक अस्पताल परिसर में अधिकांश सामान गायब ही हो चुका है ।
इसी कड़ी में और भी बेहद चैंकाने वाले तथ्य और जानकारी सामने आई है । महाकाल आश्रम बोहड़ाकला के कथित नीलकंठ अस्पताल के नाम पर 1 मई से 11 मई 2020 के दौरान लंच और डिनर के 777 पैकेट खरीदे गए। इस लंच और डिनर का बिल सदाबहार स्वीट एंड कैटरस के द्वारा 11 मई 2020 को 57110 रूपए का बनाया गया था । इसके बाद में 2 जून से लेकर 13 जुलाई 2020 के बीच में लंच और डिनर के कुल 1287 पैकेट नीलकंठ अस्पताल के नाम से खरीदे गए, अथवा मंगवाए गए । इनका बिल भी सदाबहार स्वीट एंड कैटरस के द्वारा 14 जुलाई 2020 को 94595 रूपए का बना हुआ है । इन दोनों बिल पर पटौदी के तहसीलदार कि स्टैंप सहित हस्ताक्षर भी अंकित है । अब इसी से रूप्ष्ट हो जाता है की बीते वर्ष 2020 में कम से कम अगस्त माह तक या फिर इसके बाद भी जय महाकाल अस्पताल बनाम नीलकंठ अस्पताल का कोरोना पीड़ितों के स्वास्थ्य लाभ के लिए उपयोग किया गया और जब उपयोग किया गया तो यहां पर उस समय रोगियों के लिए बेड से लेकर अन्य साजो सामान भी मौजूद अवश्य ही रहा होगा।
ऐसे में अब सवाल यही है कि आज के समय में अस्पताल का साजो सामान आखिर कैसे और कहां गायब हो गया ? अब जब करोना पूरी तरह से बेकाबू होता जा रहा है , ऐसे में प्राचीन हनुमान मंदिर बोहड़ाकला के पीछे मौजूद अस्पताल भवन में तैयार किए जाने वाले कोविड-19 सेंटर अथवा आइसोलेशन सेंटर के लिए नए सिरे से शासन प्रशासन को तमाम साजो सामान की व्यवस्था करते हुए खर्चा भी करना ही होगा। महामारी के दौरान कोरोना महामारी में संक्रमितो-पीड़ितों की जान बचाना अथवा स्वास्थ्य लाभ उपलब्ध करवाना शासन प्रशासन सहित सरकार की प्राथमिकता रहती है और यह कार्य होना भी चाहिए । लेकिन अब जो एक के बाद एक मामले निकल कर आ रहे हैं , आने वाले समय में इस बात से इंकार नहीं की और भी अधिक चैंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।